सेवा धर्म के सर्वश्रेष्ठ साधक हैं हनुमान : स्वामी आगमानंद
तीन दिवसीय श्री श्री 108 हनुमत प्राण-प्रतिष्ठा यज्ञ एवं श्री हनुमान कथा संपन्न
बांका : बांका जिले के धौरया प्रखंड अंतर्गत सैनचक पंचायत के चालनी डेनावारा गांव में जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद महाराज का सानिध्य आयोजित तीन दिवसीय श्री श्री 108 हनुमत प्राण-प्रतिष्ठा यज्ञ एवं श्री हनुमान कथा बुधवार को संपन्न हो गया। अंतिम में काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। यज्ञ मंडप की परिक्रमा की। मानस कोकिला कृष्णा मिश्रा की उपस्थति में नवनिर्मित मंदिर में बजरंगबली सहित अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की गई। स्वामी आगमानंद से 108 नए शिष्यों ने दीक्षा और गुरु मंत्र लिया। कार्यक्रम का संयोजन सदानंद सिंह, रूबी सिंह और रतन कुमार सिंह गुड्डू जी ने किया। पंडित अनिरुद्ध शास्त्री और गौतम सनातनी के वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ यज्ञ कार्य संपन्न हुआ। स्वामी आगमानंद ने कहा कि सेवा धर्म के सर्वश्रेष्ठ साधक हनुमान जी हैं। हनुमानजी का आदर्श हमें प्रेम, समर्पण और भक्ति सीखता है, जिसमें अहंकार नहीं हो।
बाल्यावस्था में पांच साल साथ थे राम और हनुमान : मानस कोकिला कृष्णा मिश्रा ने कहा कि बाल्यावस्था में पांच वर्षों तक भगवान राम के साथ हनुमानजी रहे थे। इसके बाद राम ने हनुमान से कहा अब तुम जाओ, आगे की तैयारी करो। राम ने हनुमान को गले से लगाया। दोनों के नेत्र बहने लगे थे। कृष्णा मिश्रा ने कहा राम और हनुमान दोनों एक दूसरे के हृदय में रहते थे। हनुमानजी ने राम से कहा मुझे आपका सेवक और पुत्र दोनों बनना है। राम ने कहा सेवक तो मैं बना लेता हूं। लेकिन पुत्र बनाने के लिए माँ को खोजो पहले। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को भगवान के साथ कोई नहीं कोई रिश्ता बनाना चाहिए। हनुमानजी ने लंका अशोक वाटिका में सीता को नौ बार माता कहके पुकारा था। इसके बाद सीता ने हनुमान को पुत्र कहा था। इसके बाद तो हनुमानजी ऐसे आह्लादित हुए कि आखों से अश्रु बहने लगे। सीता ने हनुमान को आशीर्वाद दिया- राम प्रिय जान कर अजर अमर का वरदान देती हूं।
दीपक जी के भजनों पर सभी हुए भावविभोर: भजन सम्राट डॉ हिमांशु मोहन मिश्रा दीपक जी ने हनुमान की बाल लीला के अद्भुत प्रसंग को सुन्दर भजन प्रभु के दर्शन की उत्कंठा मन में भारी मदारी बन के शंकर जी चले के माध्यम से सुनाया। बाल रूप राम जी का दर्शन करने एक रूप से भोलेनाथ मदारी बने और दूसरे रूप में हनुमान बनकर अयोध्या पहुंचे। राम जी चारों भाई मदारी के साथ हनुमान के नृत्य क़ो देखकर किलकारी मार कर नाचने लगे। जब ये अयोध्या से वापस गए तो राम जी हनुमान के लिए रोने लगे। फिर हनुमान क़ो दशरथ जी ने बुलाया। इस अद्भुत प्रसंग क़ो भजन के माध्यम से सुनाकर श्रोताओं क़ो भाव विभोर कर दिया। गायक बलवीर सिंह बग्घा, पवन दुबे सहित कई साथी कलाकारों ने कई भजन गाए।
इस अवसर पर पंडित ज्योतिन्द्रानाथ महराज, शिव प्रेमानंद भाई जी, मनोरंजन प्रसाद सिंह, स्वामी मानवानंद, गिरीश चंद्र झा, प्रभात कुमार सिंह, अशोक कुमार सिंह, दिलीप शास्त्री, कुंदन बाबा आदि ने संबोधित किया।