स्वामी अनंताचार्य और स्वामी आगमानंद के सानिध्य में शुरू हुआ शिव मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव
राजेश कानोड़िया, नव-बिहार समाचार, उसराहा (खगड़िया) : श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के तत्वावधान में श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज के सानिध्य में बेलदौर प्रखंड के डुमरी पंचायत के उसराहा में दो दिवसीय शिव मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव शुरू हुआ। पहले दिन के प्रथम चरण में वेदीपूजन, अधिवास के साथ वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच योगपीठ से जुड़े पंडितों ने पूजन कार्य संपादित किया। इस कार्यक्रम की गरिमा और भी इसलिए बढ़ गई क्योंकि समारोह में श्री उत्तरतोताद्रि मठ विभीषणकुंड अयोध्या के पीठाधीश्वर श्रीमद्जगदगुरु अनंत श्री विभूषित वैष्णवरत्न बाल ब्रह्मचारी स्वामी अनन्ताचार्य जी महाराज की कथा हुई।
इस दौरान स्वामी अनन्ताचार्य जी महाराज के आगमन पर ग्रामीणों ने उसराहा पुल पर गाजे-बाजे के साथ सैकड़ों बाइक एवं चारपहिया वाहनों पर सवार श्रद्धालुओं ने उनकी अगुवानी की। शोभायात्रा की शक्ल में अपने दादा गुरुदेव स्वामी अनंताचार्य को लेकर उसराहा पहुंचे। इस दौरान स्वामी अनंताचार्य के शिष्य व उनके उत्तराधिकारी स्वामी आगमानंद जी महाराज साथ चल रहे थे। कार्यक्रम में स्वामी अनंताचार्य का अवतरण दिवस भी मनाया और उनकी पूजा भी हुई। स्वामी अनंताचार्य और स्वामी आगमानंद जी ने शिव मंदिर में भगवान भेले बाबा की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लिया। स्वामी अनन्ताचार्य जी महाराज ने शिव परिवार के स्थापना के संदर्भ में विस्तार से चर्चा कर लोगों को शिव पूजन के महत्व को बताते हुए कहा कि भगवान श्री राम ने भी शिवलिंग का स्थापना कर उनका पूजन किया, जिससे उनके लोक कल्याण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
इस दौरान सिकन्दर प्रसाद सिंह, राजेश कुमार सिंह, बेलदौर विधायक पन्नालाल सिंह पटेल, पूर्व जिप सदस्य जयकृष्ण सिंह, डुमरी पंचायत के मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, तेलिहार सरपंच के अलावा काफी संख्या में जनप्रतिनिधि और क्षेत्र के बुद्धिजीवि आदि वहां मौजूद थे। कार्यक्रम में कुंदन बाबा, मनोरंजन प्रसाद सिंह, स्वामी मानवानंद जी, उमाकान्तानंद जी, पंडित प्रेम शंकर भारती, अनिल सिंह, त्रिभुवन सिंह, पप्पू सिंह, सुमन जी, अनिकेत सिंह आदि वहां मौजूद थे। इस दौरान खगड़िया, सहरसा, मधेपुरा, कटिहार, नवगछिया व भागलपुर से काफी संख्या में श्रद्धालु वहां आए थे। सभी ने दोनों संतों से आशीर्वाद लिए।
इस दौरान स्वामी आगमानंद जी महाराज ने कहा कि ईश्वर घट-घट में विराजमान हैं। सेवा करने से भी ईश्वर प्रसन्न होते हैं। उन्होंने दान की महत्ता पर चर्चा करते हुए कहा कि साधु वही होता है जो एक हाथ से ले और दूसरे हाथ से किसी को दे दे। संग्रह करने की प्रवृति साधु की नहीं होती है। साधु और संत दूसरे के उत्थान के लिए अपने आपको समर्पित कर देते हैं। सनातन संस्कृति और हिंदुत्व के लिए जीवन को समर्पित कर देना साधु-संतों का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि मुझे गुरुदेव स्वामी अनंताचार्य जी महाराज ने हमेशा चलते रहने का आदेश दिया है। इसलिए हम कहीं रुकते नहीं हैं। हमेशा चलायमान रहते हैं।