राजेश कानोड़िया, नवगछिया (भागलपुर)। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर जी उस समय नवगछिया आए थे, जब नवगछिया कोसी नदी की भीषण बाढ़ की त्रासदी झेल रहा था। शहर नदी में तब्दील हो चुका था, हर सड़क से कोसी का पानी बह रहा था। वह भी काफी तेज रफ्तार से साथ। इसी दौरान शहर से कुछ दूर सटा मिल्की गांव इसकी भेंट चढ़ गया। बाढ़ पीड़ित लोग कहीं छत पर तो कहीं वृक्ष पर किसी तरह से शरण लिए हुए थे। जहां नवगछिया वाणिज्य परिषद के अध्यक्ष सह प्रमुख समाजसेवी रामावतार प्रसाद सर्राफ के अनुरोध पर कोलकाता से भारत रिलीफ सोसायटी के कार्यकर्ता एवं समाजसेवी नवगछिया पहुंच कर नवगछिया के कर्मठ समाजसेवियों के माध्यम से सुदूर इलाकों में फंसे बाढ़ पीड़ितों के बीच तैयार भोजन खिचड़ी अन्य सामग्री पहुंचा रहे थे। उस बाढ़ की विभीषिका में पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर नवगछिया की सुधि लेने पहुंचे थे। मारवाड़ी विवाह भवन से कुछ आगे जहां पूरन बाबू का गोला हुआ करता था, वहीं से भारत रिलीफ सोसाइटी और नवगछिया के कर्मठ युवाओं द्वारा सुदूर फंसे बाढ़ पीड़ितों के बीच भारी मात्रा में भोजन पहुंचाने के कार्यक्रम का जायजा भी लिया था। जिसे देख वे द्रवित और भावुक भी हुए थे।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर के पहुंचने की सूचना पर मैं भी वहां पहुंचा और उनसे वार्ता कर उनका इंटरव्यू लिया था। इस इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था कि नवगछिया की यह त्रासदी बहुत भारी त्रासदी है, काफी लोग बेघर हो चुके हैं। यह त्रासदी अविस्मरणीय है। इस पर मैंने उनसे प्रश्न किया था कि आखिर यह बाढ़ बिहार में ही इतनी क्यों आती है? इस पर जननायक कर्पूरी ठाकुर जी ने कहा था कि यह कहीं ना कहीं सरकार की अदूरदर्शिता का परिणाम है। सरकार चाहे तो भारत सरकार और नेपाल से वार्ता कर इसमें अपेक्षित सुधार संभव हो सकता है।
वहीं कर्पूरी ठाकुर जी के नवगछिया से प्रस्थान करने के बाद वाणिज्य परिषद नवगछिया के अध्यक्ष सह बिहार राज्य खाद्यान्न व्यावसायिक संघ के उपाध्यक्ष रामावतार प्रसाद सर्राफ ने अपने घर पर मुझे बुलाकर काफी धन्यवाद दिया था कि तुमने जो प्रश्न कर्पूरी ठाकुर जी से किया, उसे हम लोग सुनकर तो अवाक रह गए कि इस तरह का प्रश्न आखिर कौन कर सकता है? तुमने नवगछिया सहित बिहार के हित में एक बड़ा प्रश्न पूछा है।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सादगी के पुरोधा जननायक स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर जी को उनके जन्म शताब्दी वर्ष पर 23 जनवरी 2024 को भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" से सम्मानित करने की घोषणा की है। जिनकी पहचान अति पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता के तौर पर रही है उन्हें भारत रत्न के सम्मान से सम्मानित कर भारत सरकार ने एक सही कदम उठाया है। जिसका स्वागत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी किया है।