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दुर्गा पूजा पर करें श्रीदुर्गासप्तशती अथवा श्रीदुर्गाचरित मानस का पाठ

दुर्गा पूजा पर करें श्रीदुर्गासप्तशती अथवा श्रीदुर्गाचरित मानस का पाठ
राजेश कनोडिया (नव-बिहार समाचार) नवगछिया (भागलपुर)। दुर्गा पूजा के मौके पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं द्वारा मां दुर्गा की पूजा आराधना सुबह शाम की जाती है। यह पूजा अर्चना काफी लंबे समय (वर्षों) से चली आ रही है। जिसकी पूजा आराधना के लिए बाजार में कई तरह की पुस्तकें श्री दुर्गा सप्तशती नाम से उपलब्ध हैं। वहीं सर्व साधारण के उपकारार्थ और सरल पठनीय भाषा में क्षेत्र के महान संत परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज द्वारा रचित श्री मार्कंडेय पुराण आधारित मूल मातरम श्रीदुर्गासप्तशती पुस्तक जो सबके पढ़ने योग्य अति सरल संस्कृत भाषा में रचना की गई है। यह अन्य श्री दुर्गा सप्तशती पुस्तक जिसकी संस्कृत भाषा सभी के लिए आसान रूप से पठनीय नहीं होती है। उसे सरल संस्कृत भाषा में प्रकाशित कर सर्वसाधारण के लिए प्रकाशित कराया गया है। जो नवगछिया और भागलपुर के बाजार में उपलब्ध है।

 इसके साथ ही एक अन्य पुस्तक परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज (रामचंद्र पाण्डेय 'रसिक' / स्वामी रामचंद्राचार्य) द्वारा ही रचित की गई है। जो श्री रामचरितमानस की तरह ही अवधी भाषा (हिंदी) में मूलत: श्री दुर्गा सप्तशती का सरल काव्या अनुवाद तथा अन्य वेद तंत्र आदि ग्रंथों से अनुदित विरचित महा काव्यात्मक शक्ति चरित आत्मक धर्म ग्रंथ प्रकाशित किया गया है। श्री दुर्गा चरित मानस के नाम से यह पुस्तक भी नवगछिया भागलपुर में कई जगहों पर उपलब्ध है। जिसकी बहुत ही बड़े-बड़े जानकार, हिंदी के साहित्यकार लोगों ने भूरी भूरी प्रशंसा की है। यह पुस्तक भी नवगछिया और भागलपुर के बाजार में उपलब्ध है। जानकारी के मुताबिक यह पुस्तक नवगछिया में भारतीय स्टेट बैंक के सामने स्थित किताब घर और नवगछिया उच्च विद्यालय के समीप मां तारा पुस्तक भंडार तथा नवगछिया पोस्ट ऑफिस के समीप अंग श्रृंगार नामक दुकानों में उपलब्ध है। साथ ही श्री शिव शक्ति योग पीठ नवगछिया में तथा बुढ़ानाथ मंदिर रोड भागलपुर के मानस प्रकाशन में एवं स्टेशन रोड स्थित श्री कृष्णा बुक सेलर में भी उपलब्ध है।