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बाय-बाय भागलपुर महोत्सव, फिर मिलेंगे अगले साल

भागलपुर। दृढ़ संकल्प हो और मंशा साफ साफ हो तो मंजिल जरूर मिलती है। भागलपुर महोत्सव में भी कुछ ऐसा ही हुआ। जिस उददेश्य से कलाकार यहा एक मंच पर उतरे थे उसमें वे सफल रहे। वे कला के जरिए लोगों को यह बताने में सफल रहे कि हम सब एक है।

अनेकता में एकता ही भारत की पहचान है। आतंकवाद और साप्रदायिकता से न किसी का भला हुआ है और ना ही आगे होगा। जाते जाते कलाकारों ने फिर मिलने का वादा करते हुए लोगों से विदा ली। पिछले 11 वर्षो से लगातार भागलपुर महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। प्रति वर्ष इसमें देश के माने जाने कलाकारों को बुलाया जाता है। इस बार भी 6 से 10 दिसंबर तक आयोजित महोत्सव में बिहार के अलावा महाराष्ट्र, झारखंड, एमपी, वेस्ट बंगाल, मध्यप्रदेश प्रदेशों के कलाकार और कवियों ने भाग लिया। कार्यक्त्रम के दौरान तीन नाटक नाटक व करीब तीन दर्जन लोकनृत्य के कार्यक्त्रम प्रस्तुत हुए। महिला और पुरुष मॉडलिंग हुआ।

कलाकारों ने लोगों को साप्रदायिकता, आतंकवाद, भू्रण हत्या, स्वच्छता, जल संरक्षण आदि के प्रति जागरूक किया गया। महोत्सव में जितने भी कार्यक्त्रम सामिल किये गये थे सबका अपना अलग उददेश्य था। कलाकारों ने भी अपनी जिम्मेदारी को पूरी संजीदगी से निभाया। यहीं कारण रहा कि हर कार्यक्त्रम लोगों के दिलों को छू गया।

सबसे अहम बात रही कि नागरिक विकास समिति ने स्थानीय कलाकारों को भी एक मंच प्रदान किया। जिसके जरिए वे अपनी अभिनय क्षमता से लोगों को अवगत कराने में सफल रहे। अंतिम दिन रविवार की रात करीब 11 बजे जब कार्यक्रम के समापन की घोषणा हुई तो कलाकार भावुक हो उठे। उन्होंने नम आखों से लोगों से विदाई ली, कलाकारों ने कहा, बाय-बाय भागलपुर महोत्सव। कलाकारों ने अगले साल फिर मिलने का वादा किया।