नवबिहार न्यूज नेटवर्क : बिहार में अबतक शिक्षकों को जनगणना, मतगणना और चुनावी कार्य में लगाया जाता रहा है. इसी तरह के तरह तरह के अद्भुत प्रयोग बिहार सरकार द्वारा होते ही रहते हैं. खास कर अगर मुद्दा शिक्षकों से जुड़ा होने पर चर्चा का विषय बन ही जाता है. लेकिन बिहार सरकार ने स्कूली शिक्षकों के लिये अब एक और नया फरमान जारी किया है. अब शिक्षकों को खुले में शौच कर रहे लोगों पर नजर रखनी होगी. ऐसे लोगों को देखते ही तस्वीर खींचने को कहा गया है. अर्थात अब लोटे की निगरानी का जिम्मा दिया है.
इस संदर्भ में सभी बीईओ की तरफ से शिक्षकों को फरमान जारी किया गया है. इस फरमान के तहत अब हाईस्कूल के शिक्षक खुले में शौच करने वालों को रोकेंगे और उनकी निगरानी करेंगे. शिक्षकों को ड्यूटी के लिए जहां पत्र भेजा गया है वहीं प्रधानाध्यापकों को शौचालय निगरानी का पर्यवेक्षक बनाया गया है.
बीईओ द्वारा जारी आदेश के मुताबिक शिक्षक सुबह-शाम अलग-अलग समय पर खुले में शौच करने वालों की निगरानी करेंगे. शिक्षक सुबह 5 बजे और शाम 4 बजे रोजाना खुले में शौच करने वालों का निरीक्षण करेंगे. बता दें कि शिक्षकों को दी गई इस जिम्मेवारी के पहले ही पढाई के साथ-साथ 30 अलग काम भी बिहार के शिक्षकों को मिला हुआ है इनमें चुनाव कराने से लेकर वोटर लिस्ट निर्माण कार्य और जनगणना जैसे काम भी होते हैं.
माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव ने सरकार के इस फैसले पर जोरदार हमला बोला है. महासचिव शत्रुध्न प्रसाद सिंह ने कहा कि शौच अभियान में शिक्षकों को शामिल करना पागलपन है और शिक्षकों के पद का अपमान है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार अपने घिनौने फरमान को अविलंब वापस लें क्योंकि हम शिक्षकों को ये काम कभी नहीं करने देंगे. शिक्षक संघ आज फरमान को वापस लेने के लिए सीएम को पत्र लिखेगा.
यह होगी शिक्षकों की ड्यूटी
खुले में शौच को रोकने और इसकी निगरानी के लिये शिक्षकों को वार्ड स्तरीय सदस्य बनाया गया है. इसके तहत अब प्रधानाध्यापक और शिक्षक शौचालय की राशि आवंटन, भौतिक सत्यापन, निर्माण से लेकर निरीक्षण तक का काम करेंगे. नई जिम्मेवारी के साथ-साथ सप्ताह में दो दिन कार्यों की समीक्षा के लिये बैठक करने का भी दिशा-निर्देश दिया गया है.