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सृजन महाघोटाला: नवगछिया प्रखंड की राशि भी हुई शामिल, दर्ज हुई एक और फर्जीवाड़े की प्राथमिकी

इंडियन बैंक भेजे गये चेक खाता में नहीं हुए जमा, अज्ञात स्रोत से डाले गये करोड़ों
नव-बिहार न्यूज नेटवर्क, नवगछिया/ भागलपुर : सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड द्वारा की गयी फर्जीवाड़े की राशि बढ़ती ही जा रही है. सोमवार को
नवगछिया प्रखंड कार्यालय के बैंक खाते से तीन करोड़ 27 लाख से अधिक के फर्जीवाड़े की प्राथमिकी कोतवाली थाने में दर्ज की गयी है. नवगछिया के बीडीओ राजीव कुमार रंजन ने प्राथमिकी दर्ज करायी है. इसमें इंडियन बैंक की भागलपुर शाखा को आरोपित बनाया गया है. इससे पहले शाहकुंड, जगदीशपुर, गोराडीह, सन्हौला, पीरपैंती व कहलगांव बीडीओ द्वारा प्राथमिकी दर्ज करायी जा चुकी है.
बैंक खाता में जमा नहीं किया गया चेक
नवगछिया प्रखंड कार्यालय का एक खाता इंडियन बैंक में है. इंडियन बैंक में 29 जून 2007 को खाता खुलवाया गया. यहां बीडीओ के द्वारा कई चेक जमा करने के लिए भेजे गये थे और तीन बार नकद राशि जमा की गयी थी. लेकिन इसमें 26 चेक तथा नकद की कुल तीन करोड़ 27 लाख 77 हजार 668 रुपये की राशि खाते में जमा दर्ज नहीं की गयी. जब भी राशि निकासी के लिए चेक बैंक को भेजा गया, उससे पहले विभाग के सरकारी खाता में राशि जमा करा दी गयी. इस तरह अज्ञात स्रोत से तीन करोड़ 65 लाख 33 हजार 507 रुपये अवैध रूप से सरकारी खाता में जमा कर दिया गया. 
ब्याज की राशि का भी फर्जीवाड़ा
प्रखंड के कैश बुक में चार करोड़ 62 लाख 83 हजार 50 रुपये इंडियन बैंक के खाता में जमा करने की सूचना है. इसके एवज में राशि पर बैंक का ब्याज सात लाख 47 हजार 46 रुपये बनता है. मगर बैंक की खाता विवरणी में ब्याज के रूप में 41 हजार 808 रुपये ही दिया गया. इस तरह ब्याज की राशि का भी फर्जीवाड़ा किया है. 

सीबीआइ कर रही जांच
सृजन मामले की जांच सीबीआइ कर रही है. संभावना है कि अन्य प्रखंडों की जांच की तरह नवगछिया प्रखंड का भी मामला सीबीआइ के दायरे में आ जायेगा. प्रशासन की ओर से हालांकि, बाकी बचे प्रखंड में फर्जीवाड़े की जांच करवा रही है.

नवगछिया  के प्रखंड विकास पदाधिकारी राजीव कुमार रंजन ने कहा है कि प्रखंड कार्यालय  नवगछिया द्वारा जमा की गयी राशि की खाते में जमा नहीं होने के पश्चात समय  समय पर प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा उक्त खाते से काटे गये चेक का भुगतान  होता रहा. जिस तिथि में चेक काटा गया प्राय: उसी तिथि में खाते में राशि  जमा कर निकासी कराया जाता रहा. बीडीओ का कहना है कि जांच के क्रम में  उन्होंने पाया कि यह प्रथम दृष्टया सरकारी राशि की हेराफेरी और जालसाजी  का मामला है.
बैंक पासबुक और बैंक स्टेटमेंट में हर तिथि को राशि में  भिन्नता आयी. यह मूल राशि हो या सूद की राशि दोनों तरह की राशि में भिन्नता  है. बैंक द्वारा चेकों एवं राशि का जबरदस्त हेराफेरी की गयी है उक्त अवधि में उपलब्ध कराये गयी बैंक विवरणी में उपरोक्त जमा राशि की  प्रवृष्टि नहीं है. बीडीओ का कहना है कि उपरोक्त तथ्यों के आधार पर इंडियन  बैंक भागलपुर शाखा के खाते से बैंक द्वारा जालसाजीपूर्ण षड्यंत्र द्वारा  खाते को अनाधिकृत नियंत्रण में रख सरकारी राशि की अवैध निकासी की बात हुई. बैंक द्वारा खाते से बड़ी राशि की अवैध वित्तीय व्यवहार की  जानकारी प्रखंड प्रशासन को कभी नहीं दी गयी.
प्रखंड नजारत का महालेखाकार  लेखा परक्षीण वित्त के अंकेक्षण दल द्वारा भी बैंक के अद्यतन पासबुक का  मिलान किया जाता रहा है. जिसमें किसी प्रकार का अंतर नहीं है. इस खाते से  निर्गत कभी भी कोई चेक अप्रतिष्ठित नहीं हुआ है. इस प्रकार बैंक द्वारा  प्रशासन को अंधेरे में रखते हुए और मांगे जाने पर जाली पासबुक व विवरणी  उपलब्ध करा कर जालसाजी को अंजाम देने का प्रयास किया गया है. बीडीओ ने कहा  है कि इस मामले में इंडियन बैंक भागलपुर के तत्कालीन शाखा प्रबंधक, सभी  पदधारकों एवं एवं संदिग्ध शामिल व्यक्तियों के द्वारा आपराधिक षड्यंत्र,  सरकारी लेखा पुष्ट अभिलेखों से आपराधिक छेड़ छाड़ एवं भ्रष्ट आचरण के  विरुद्ध भारतीय दंड संहिता के तहत प्राथमिकी दर्ज करायी गयी.