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जस्टिस दीपक मिश्र बने भारत के 45वें प्रधान न्यायाधीश

नव-बिहार न्यूज नेटवर्क (NNN), नई दिल्ली : याकूब मेमन और दिल्ली दुष्कर्म कांड के दोषियों को फांसी की सजा देने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्र
भारत के नए प्रधान न्यायाधीश बन गए हैं। सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। जस्टिस मिश्र भारत के 45वें प्रधान न्यायाधीश हैं। शपथ ग्रहण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दीं। जस्टिस मिश्र की पीठ ने ही सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने, स्क्रीन पर तिरंगा लहराने और उस दौरान दर्शकों के खड़े रहने की अनिवार्यता का आदेश दिया था।
सोमवार को राष्ट्रपति भवन के दरबार हाल में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति ने जस्टिस मिश्र को पद की शपथ दिलाई। जस्टिस दीपक मिश्र का प्रधान न्यायाधीश पद पर कार्यकाल करीब 13 महीने का है। वह 2 अक्टूबर 2018 में सेवानिवृत्त होंगे। 13 अक्टूबर 1953 को ओडिशा के खुर्दा जिला के वाणपुर गांव में जन्मे जस्टिस दीपक मिश्र 14 फरवरी 1977 को वकील के तौर पर पंजीकृत हुए थे। वह 17 जनवरी 1996 को ओडिशा हाई कोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त हुए और 3 मार्च 1997 को उनका मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में स्थानांतरण हो गया। 19 दिसंबर 1997 को वह स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए। 23 दिसंबर 2009 को वह पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए और 24 मई 2010 को दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। 10 अक्टूबर 2011 में वह सुप्रीम कोर्ट में प्रोन्नत हुए और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने। जस्टिस मिश्र करीब छह साल से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश हैं।