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नवगछिया कोर्ट ने पुलिस पदाधिकारियों से माँगा स्पष्टीकरण

नवगछिया (भागलपुर) : व्यवहार न्यायालय नवगछिया के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी द्वितीय संतोष कुमार ने एक कांड के मामले में नवगछिया के एसडीपीओ मुकुल कुमार रंजन, थानाध्यक्ष संजय कुमार सुधांशु व कांड के अनुसंधानकर्ता दिनेश पासवान से स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही केस का अनुसंधान डीआइजी व एसपी को अपनी निगरानी में कराने का आदेश जारी किया है। इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई के लिए आइजी व डीजीपी को भी पत्र लिखा है।

जानकारी के अनुसार नवगछिया मस्जिद रोड निवासी विपिन बिहारी ने नवगछिया थाने में एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसमें वार्ड के प्रमोद यादव व ललन यादव को नामजद आरोपी बनाया था। आरोप था कि प्रमोद व ललन आए और कनपट्टी में पिस्तौल सटाकर पांच लाख रुपये की रंगदारी मांगी। जबरदस्ती सोने की चेन छीन ली। रकम नहीं देने पर पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी।

इसी मामले को लेकर कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि केस की रिपोर्ट देखने से यह प्रतीत होता है कि अनुसंधानकर्ता, थानाध्यक्ष, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी द्वारा आरोपितों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रारंभ में नवगछिया पुलिस ने इस वाद में कमजोर धारा लगाकर प्राथमिकी दर्ज की। इस पर पीड़ित ने आवेदन के साथ धारा 386, 387, भारतीय दंड विधान जोड़ने का अनुरोध नवगछिया कोर्ट में किया। कोर्ट ने प्राथमिकी में उक्त धाराएं जोड़ने का आदेश दिया। आदेश आते ही दूसरे ही दिन पुलिस ने भी उक्त धारा जोड़ने के लिए कोर्ट में आवेदन दे दिया। दोनों धाराएं जुड़ भी गईं। परन्तु, पर्यवेक्षण रिपोर्ट में पुलिस ने फिर से उन धाराओं को निकाल दिया। इतना ही नहीं, इस मामले में जल्दबाजी में पुलिस ने गोली फायर करने का भी पर्यवेक्षण कर दिया। जबकि गोली चलने की बात ना तो सूचक ने प्राथमिकी में कही थी और ना ही किसी गवाह ने। इतना ही नहीं, तीनों पुलिस पदाधिकारी पर्यवेक्षण के लिए एक साथ घटनास्थल गए और वहां तथाकथित गवाह पूर्व से ही उपस्थित थे। जबकि यह कार्य अलग-अलग स्वतंत्र रूप से करना था। सूचक को न्याय दिलाने के लिए यह आवश्यक है कि यह कार्य किसी अन्य पदाधिकारी से कराया जाए। कांड का अनुसंधान नवगछिया एसपी पंकज सिन्हा व डीआइजी विकास वैभव अपनी निगरानी में कराएं और कोर्ट में रिपोर्ट समर्पित करें।