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भागलपुर : अंग प्रदेश में लोक पर्व विशुआ कल, बैसाखी आज

नव-बिहार न्यूज नेटवर्क, भागलपुर : जिले में आठ दिनों तक विभिन्न समुदाय व समाज की ओर से अलग-अलग अवसर पर उत्सव मनाया जायेगा. 13 अप्रैल को सिख श्रद्धालुओं की बैसाखी व बंगाली समाज का नववर्ष, 14 अप्रैल को विशुआ व इसाइयों का गुड फ्राइडे व 16 अप्रैल को ईस्टर होगा. अप्रैल माह में विविध समुदायों का त्योहार व उत्सव का अंदाज अलग-अलग होगा. पकवान भी अलग-अलग होंगे

अंग क्षेत्र का लोक पर्व है विशुआ

अंग क्षेत्र का लोक पर्व विशुआ की तैयारी बाजार में शुरू हो चुकी है. ज्योतिषाचार्य डॉ सदानंद झा ने बताया कि विशुआ पर्व में सत्तू गुड़ का भोजन ग्रहण करेंगे और अपने दिवंगत पूर्वज के नाम पर मिट्टी के घड़ा में जल भर कर, टिकोला व हाथ का पंखा आदि गरीबों को दान करते हैं. मान्यता है कि यह सीधे पूर्वजों को जायेगा. सामान्य विशुआ व्रती उस दिन सत्तू गुड़ का ही भोजन करते हैं. विशुआ के रात्रि में भोजन बना कर दूसरे दिन बासी भोजन खाने की मान्यता है. गौ पालक का रिवाज है कि विशुआ के दिन वह दूध नहीं बेचते हैं और गाय-भैस के संरक्षक देवता बाबा विशु राउत को सभी दूध चढ़ा देते हैं. इसे गर्मियों की शुरुआत भी माना जाता है.  गांवों में भरथरी(भतृर्हरि) का गुण गाया जायेगा, जिसमें भगवान विष्णु की पूजा की जायेगी.

सजती है रंगोली, गले मिलते हैं समाज के लोग  : शहर के अलग-अलग हिस्सों में बसे बंगाली समाज के लोग 15 अप्रैल को बांग्ला नववर्ष मनायेंगे. बंगाली समाज के लोगों ने एक-दूसरे को शुभ नववर्षों बोल कर नववर्ष की बधाई देते और एक-दूसरे से गले मिलते हैं. उस दिन लोग प्रात: से ही जग कर अपने-अपने घर की सफाई में जुट जाते हैं. महिलाओं द्वारा घर में रंगोली सजायी जाती है.  इसे देख कर किसी उत्सव से कम नहीं कहा जा सकता है. पूरे बंगाली बहुल क्षेत्र में उत्सवी माहौल होता है. सभी के घरों में तरह-तरह के व्यंजन, जिसमें मछली के अलग-अलग वेराइटी माछेर पातुड़ी, माछेर कलिया, मुड़ी घोंतो आदि व मिठाई व शाकाहारी भोजन तैयार किये जाते हैं.

गुरुद्वारा में मनाया जायेगा बैसाखी
सिख समुदाय में वैशाखी उत्सव का विशेष महत्व है. इस बार मुंबई के रागी जत्था भाई बलजीत सिंह पधार रहे हैं. इस दिन वह कीर्तन करेंगे. इस क्रम में लंगर होगा. सरदार हर्षप्रीत सिंह बताते हैं कि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली आदि स्थानों पर सिख बहुल क्षेत्र में बैसाखी मेला लगता है. इस दौरान लड़के तलवारबाजी, घुड़सवारी व भांगड़ा नृत्य करते हैं, तो लड़कियां गिद्धा नृत्य करती हैं. 1699 में गुरु गोविंद सिंह ने वैशाखी के दिन देश की एकता, अखंडता व धर्म निरपेक्षता के लिए पंज प्यारे को अमृत पिला कर जीवित करने का कार्य किया. इसे तभी से साधना दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं. 

मौन डे थर्स डे से शुरू होगा इसाई धर्म उत्सव

क्राइस्ट चर्च के कोषाध्यक्ष जेके झा ने बताया कि गुड फ्राइडे14 अप्रैल को मनाया जायेगा. इससे एक दिन पहले मौन डे थर्स डे होगा. इसमें प्रभु भोज विधि से शाम को आराधना होगी. गुड फ्राइडे के दिन प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था. इस दिन सात अलग-अलग विद्वान सात वाणी पर प्रवचन देंगे. इसके दो दिन बाद 16 अप्रैल को ईस्टर मनाया जायेगा. श्री झा ने बताया कि ईस्टर के दिन अल सुबह प्रभु यीशु पुनर्जीवित हुए थे. कब्र के ऊपर का चट्टान हट गया था. प्रभु यीशु साक्षात सबके सामने थे. इस खुशी में ईस्टर पर्व मनाते हैं. कब्रिस्तान में पूर्वजों को मोमबत्ती व धूप जला कर श्रद्धांजलि देते हैं