राजद नेता शहाबुद्दीन 11 साल बाद हुआ जेल से रिहा
भागलपुर (नवबिहार न्यूज नेटवर्क) : बिहार का बाहुबली राजद नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन को शनिवार की सुबह भागलपुर सेन्ट्रल जेल से रिहा
कर दिया गया. सीवान की विशेष अदालत के प्रभारी न्यायाधीश संदीप कुमार की अदालत ने शुक्रवार की शाम हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में शहाबुद्दीन के रिलीज आर्डर पर आदेश पारित किया था. जिसे लेकर सीवान से एक टीम भागलपुर पहुंची थी.
सीवान के चर्चित तेजाब कांड में हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद शनिवार सुबह वह जेल से रिहा हुए. 19 मई को पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के आरोपों में घिरने के बाद शहाबुद्दीन को सीवान से भागलपुर जेल शिफ्ट किया गया था. बताया जा रहा है कि जेल से रिहा होने के बाद शहाबुद्दीन 1300 गाड़ियों के काफिले के साथ सीवान जाएंगे.
उसकी रिहाई को लेकर बीजेपी ने आपत्ति जताई है. बीजेपी का कहना है कि जंगल राज के प्रतीक रहे शहाबुद्दीन के बाहर आने की खबर से लोग सहमे हुए हैं.
उसकी रिहाई को लेकर बीजेपी ने आपत्ति जताई है. बीजेपी का कहना है कि जंगल राज के प्रतीक रहे शहाबुद्दीन के बाहर आने की खबर से लोग सहमे हुए हैं.
इधर खबर है कि शहाबुद्दीन के जेल से बाहर आने की खबर मिलते ही सीवान प्रशासन ने चौकसी बढ़ा दी है. जगह-जगह सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है. राज्य में पहले ही कानून-व्यवस्था बदहाल है और वहां गुंडाराज फैला है. अब शहाबुद्दीन के रिहा होने से राज्य में अपराध बढ़ेंगे.
तेजाब से नहलाकर की चश्मदीद की हत्या
शहाबुद्दीन दो भाइयों की तेजाब से नहलाकर हत्या करने और बाद में हत्याकांड के इकलौते गवाह उनके तीसरे भाई राजीव रौशन की हत्या के मामले में भागलपुर जेल में बंद था. दोहरे हत्याकांड में उसे हाई कोर्ट से फरवरी में ही जमानत मिल चुकी थी. बुधवार को चश्मदीद की गवाह की हत्या के मामले में भी अदालत ने उसकी जमानत मंजूर कर ली. इसके बाद उसकी रिहाई हो गयी.
शहाबुद्दीन दो भाइयों की तेजाब से नहलाकर हत्या करने और बाद में हत्याकांड के इकलौते गवाह उनके तीसरे भाई राजीव रौशन की हत्या के मामले में भागलपुर जेल में बंद था. दोहरे हत्याकांड में उसे हाई कोर्ट से फरवरी में ही जमानत मिल चुकी थी. बुधवार को चश्मदीद की गवाह की हत्या के मामले में भी अदालत ने उसकी जमानत मंजूर कर ली. इसके बाद उसकी रिहाई हो गयी.
ऐसे बना बाहुबली
शहाबुद्दीन के अपराध की कहानी 15 मार्च 2001 को लालू की पार्टी के एक नेता को गिरफ्तार करने आए पुलिस ऑफिसर संजीव कुमार को थप्पड़ मारने से शुरू हुई थी. इस घटना के बाद शहाबुद्दीन के समर्थकों और पुलिस के बीच काफी लंबी झड़प हुई. थप्पड़ मारने वाले शहाबुद्दीन के घर पुलिस ने छापेमारी की. इस दौरान शहाबुद्दीन के समर्थकों और पुलिस के बीच गई घंटों तक गोलीबारी हुई. इस घटना में 10 लोग मारे गए और पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा. तभी से वह एक बाहुबली के रूप में पहचाना जाने लगा.
शहाबुद्दीन के अपराध की कहानी 15 मार्च 2001 को लालू की पार्टी के एक नेता को गिरफ्तार करने आए पुलिस ऑफिसर संजीव कुमार को थप्पड़ मारने से शुरू हुई थी. इस घटना के बाद शहाबुद्दीन के समर्थकों और पुलिस के बीच काफी लंबी झड़प हुई. थप्पड़ मारने वाले शहाबुद्दीन के घर पुलिस ने छापेमारी की. इस दौरान शहाबुद्दीन के समर्थकों और पुलिस के बीच गई घंटों तक गोलीबारी हुई. इस घटना में 10 लोग मारे गए और पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा. तभी से वह एक बाहुबली के रूप में पहचाना जाने लगा.