ताजा समाचार :

6/Posts/ticker posts

ये है नवगछिया का अखबारी आईना

फाइल फोटो 

कोई भी अखबार उस क्षेत्र का आईना होता है। जो उस क्षेत्र की हू-ब-हू तस्वीर की तरह से पूरी जानकारी को अपने पाठकों के बीच परोसता है। जिसके सम्पादक या संवाददाता द्वारा महत्ता के हिसाब से किसी समाचार को संक्षिप्त रूप से तो किसी को विस्तृत कर भी परोसा जाता है। जिस पर पाठक पूरा भरोसा करके पढ़ते है। जिसके बल पर आपस में लोग वाद विवाद भी करते हैं। इतना ही नहीं छापे गए समाचार की कतरन रख कर उसे खास समय पर खास इस्तेमाल भी करते हैं। लेकिन लगता है कि इस समय इन तथ्यों से आज के समाचार पत्रों को कोई वास्ता ही नहीं रह गया है। उदाहरण के तौर पर आज का ही नंबर वन कहा जाने वाला अखवार दैनिक जागरण का भागलपुर नगर संस्करण का अंक काफी है।
इस अंक के पेज संख्या छह पर छापे समाचारों को गौर से पढ़ा जायेगा तो स्वतः ही स्थित साफ हो जायेगी। जहां अपने ही समाचार का खंडन उसी पेज में समाचार के द्वारा किया जा रहा है। इस पेज का प्रमुख समाचार है " नवगछिया : छह महीने में हुई 19 हत्याएं" । जिसमें नवगछिया पुलिस जिले के अपराध की समीक्षा करते हुए बताया गया है कि खरीक थाने में हत्या का मामला इस साल अब तक शून्य है।
वहीं इसी पेज में नीचे छपा है- "खरीक प्रखंड में पाँच माह में गई चार जानें" । जिसमें साफ साफ लिखा गया है कि 9 मार्च को ध्रुवगंज निवासी पंकज महतो की मूर्ति विसर्जन के दौरान हत्या कर दी। जिसकी अगली लाईन में छापा गया है- वहीं 6 मई को पीपरपाती कोसी घाट पर भवानीपुर के विपिन यादव एवं भोला यादव को गला रेत कर नदी में फेंका।
अब सवाल यह है कि इन खबरों में से किस खबर को सही माना जाय और किसको गलत। जबकि दोनों खबरें एक ही अखबार के एक ही पेज की हैं।
अब इससे अलग दूसरा मामला है एक नजर में छपी खबर का। जिसका शीर्षक है- बैंकर को दो वर्ष की सजा। इस शीर्षक का सीधा आशय लगता है किसी भी राष्ट्रीयकृत या निजी क्षेत्र के बैंक का मामला। जबकि यह मामला सीधा सीधा एक अनाधिकृत गुंडा बैंकर का है। इसके बावजूद इस समाचार में सजा सुनाने वाली अदालत प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी धीरेन्द्र मिश्र की कोई अदालत नवगछिया में है ही नहीं। नवगछिया में अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी धीरेन्द्र मिश्र की अदालत जरूर है। लेकिन इस अदालत द्वारा 9 जून को कोई सजा नहीं सुनायी गयी है। जानकारी के अनुसार यह सजा प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी आर रंजन की अदालत द्वारा सुनायी गयी थी।