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नवगछिया में आखिर क्या उजड़ ही जायेगा देव दुर्लभ पर्यावरण मित्र गरुड का बसेरा ?


राजेश कानोडिया, नवगछिया (भागलपुर)।
इन दिनों दुनियाँ भर के लोगों के बीच एक अहम सवाल खड़ा हो गया है। वह है कि संसार का सबसे दुर्लभ पक्षी सह पर्यावरण मित्र का भागलपुर के नवगछिया में कोसी पार बना बसेरा आखिर क्या उजड़ ही जायेगा । जिसे अति प्राचीन ग्रन्थों और पुराणों में जगत के पालक भगवान विष्णु का वाहन "गरुड" कहा जाता है। जिसकी दुनियाँ भर में काफी कम संख्या रह गयी है।
जानकारी के अनुसार इस दुर्लभ पक्षी सह पर्यावरण मित्र का बसेरा दुनिया भर में अगर कहीं है तो वह कम्बोडिया और भारत में ही है। भारत में केवल भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडल अंतर्गत कसी नदी पार खैरपुर कदवा गाँव के एक मध्य विद्यालय के किनारे पुराने पीपल के पेड़ों पर बसा है इनका बसेरा। जिसे देखने के लिए देश ही नहीं दुनिया के कोने कोने से लोग और पक्षी मित्र तथा पर्यावरण मित्र आते रहते है। जो इनके बेहतर संरक्षण की बात करते हैं।
जानकारी के अनुसार शनिवार को भी इंगलेंड के पक्षी संरक्षण संस्था के डॉ पॉल डोनाल्ड अपने भागलपुर के पक्षी व पर्यावरण मित्र अरविंद मिश्रा के साथ इस पर्यावरण मित्र गरुड और उसके बसेरे को देखने खैरपुर कदवा के उस पीपल के पेड़ के समीप जा रहे हैं। यहाँ ये गरुड काफी संख्या में आकर ठहरते और विश्राम करते हैं। इसके साथ साथ ये यहाँ काफी सुरक्षित स्थल मानकर प्रजनन भी करते हैं।
यहाँ इस समय एक पुल का निर्माण कार्य जारी है। जो इसी पीपल के पेड़ से सटते हुए जाएगा। जिसकी वजह से इनके भविष्य पर अब यहा गहरा खतरा मंडरा रहा है। जहां ये सुरक्षित रूप से प्रजनन तो क्या खुली हवा में सांस भी नहीं ले पायेंगे। जहां जरूरत है इस निर्माणाधीन पुल के रास्ते में बदलाव की। इसी बदलाव से ही इन देवदुर्लभ पक्षी सह पर्यावरण मित्र लगभग 300 गरुड़ों का संरक्षण हो पाएगा।
भागलपुर के पक्षी सह पर्यावरण मित्र अरविंद मिश्रा ने नवगछिया समाचार को बताया कि बिहार में गरुड और बंगाल में फाल्किन पक्षी की खोज में ही इंगलैंड से डॉ पॉल डोनाल्ड भारत पहुंचे हैं। जो शनिवार 12 अप्रैल की सुबह इन गरुड़ों के बसेरा को देखने पहुँच रहे हैं।