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सीबीआई मामले में गुवाहाटी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का स्टे


सीबीआई की स्थापना असंवैधानिक करार देने वाले गुवाहाटी हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ केन्द्र ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उसपर स्टे की गुहार लगाई। सर्वोच्च अदालत ने केंद्र की याचिका पर विचार करते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर तत्काल स्टे लगा दिया है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि दूसरे पक्ष की बात केंद्र को सुननी चाहिए। इस मामले में अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होगी।
इससे पहले केन्द्र ने इसके साथ ही एक आवेदन भी दायर किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया गया है कि वह हाईकोर्ट के आदेश पर स्थगन लगा दे और उसकी याचिका पर तुरंत सुनवाई करे।
इस बीच, नवेन्द्र कुमार की तरफ से एक कैवियट दायर किया गया है कि केन्द्र की याचिका पर कोई आदेश पारित करने से पहले सुप्रीम कोर्ट उनका भी पक्ष सुने। नवेंन्द्र की याचिका पर गुवाहाटी हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया था।
गुवाहाटी हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने उस प्रस्ताव को निरस्त कर दिया, जिसके माध्यम से सीबीआई का गठन हुआ था और उसकी तमाम कार्रवाइयों को असंवैधानिक करार दिया।
न्यायमूर्ति आईए अंसारी और न्यायमूर्ति इंदिरा शाह की खंडपीठ ने कुमार की ओर से दायर एक याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसमें सीबीआई का गठन का आधार बने प्रस्ताव पर हाईकोर्ट की एकल पीठ के 2007 के आदेश को चुनौती दी गई थी।
अदालत ने कहा था, इसलिए हम 1963 के प्रस्ताव को रद्द करते हैं जिसके जरिए सीबीआई का गठन किया गया था..हम यह भी फैसला देते हैं कि सीबीआई न तो दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (डीएसपीई) का कोई हिस्सा है और न उसका अंग है और सीबीआई को 1946 के डीएसपीई अधिनियम के तहत गठित पुलिस बल के तौर पर नहीं लिया जा सकता।
पीठ ने कहा था कि मामला दर्ज करने, किसी व्यक्ति को अपराधी के रूप में गिरफ्तार करने, जांच करने, जब्ती करने, आरोपी पर मुकदमा चलाने आदि की सीबीआई की गतिविधियां संविधान के अनुच्छेद 21 को आघात पहुंचाती हैं और इसलिए इसे असंवैधानिक मानकर रद्द किया जाता है।
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि गृह मंत्रालय का उपरोक्त प्रस्ताव न तो केंद्रीय कैबिनेट का फैसला था और न ही इन शासकीय निर्देशों को राष्ट्रपति ने अपनी मंजूरी दी थी। अदालत ने कहा कि इसलिए संबंधित प्रस्ताव को अधिक से अधिक एक विभागीय निर्देश के रूप में लिया जा सकता है जिसे कानून नहीं कहा जा सकता।
बहरहाल, गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा था कि सीबीआई अदालत में लंबित कार्यवाही पर आगे जांच करने के लिए पुलिस पर कोई रोक नहीं है। सीबीआई का गठन किए जाने पर अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी का गठन कुछ स्थितियों से निपटने के लिए तदर्थ उपाय के रूप में किया गया था।