भारत के पड़ोसी देश नेपाल की फिजा चुनावी रंग से सराबोर हो गई है। राजनीतिक अनिश्चितता को खत्म करने के लिए एक बार फिर आज संविधान सभा के सदस्यों के चुनाव के लिए मतदान हो रहा है। चुनाव के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। भारत-नेपाल की सीमा सील कर दी गई है।
चुनाव में खलल डालने की सीपीएन माओवादी नीत गठबंधन की धमकियों और हिंसा की कोशिशों को रोकने के लिए सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं। 'नए नेपाल' के निर्माण के नारे के साथ संविधान सभा के चुनाव में 133 सियासी दल हिस्सा ले रहे हैं लेकिन मुख्य मुकाबला पांच दलों के बीच सिमटता दिख रहा है।
माओवादी नेता प्रचंड के नेतृत्व वाली एकीकृत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी [माओवादी], सुशील कोइराला की अगुवाई वाली नेपाली कांग्रेस व झलनाथ खनाल के नेतृत्व वाली एमाले के बीच नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में मुख्य मुकाबला हो रहा है। कुछ सीटों पर मधेशी व निर्दलीय भी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। संविधान सभा के लिए कुल 601 सीटों में से केवल 240 सीटों पर मतदान हो रहा है।
नेपाल की तराई के 22 जिलों में 70 लाख भारतीय मूल के मधेशी हैं। मधेश समर्थकों को 2007 के चुनाव में महज 22 सीटों से संतोष करना पड़ा था। इस बार उपेंद्र यादव के नेतृत्व वाले मधेशी जनाधिकार फोरम और कमल थापा की राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी जोर आजमाइश कर रही है। मधेशी जनाधिकार फोरम ने तो मधेशियों के प्रभाव वाले 22 जिलों की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारा है।