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नवगछिया में सहौड़ा गाँव के 1500 परिवार की जिंदगी पर मंडराया खतरा


नवगछिया अनुमंडल में रंगरा प्रखण्ड अंतर्गत सहौड़ा गाँव के 1500 परिवार की जिंदगी एक बार फिर खतरे में नजर आ रही है। गाँव के सभी लोगों के आँखों की नींद गायब है। जिन्हें बस एक ही भय सता रहा है । वह है कोसी महारानी के कोप का। जिसने वर्ष 1987 में 14 अगस्त को 24 घंटे के अंदर पूरी सहौड़ा बस्ती को विलीन कर दिया था। पुनः 26 वर्ष बाद उसी घटना के दोहराए जाने की आशंका प्रबल लग रही है। कारण कि कोसी का कटाव फिर सहौड़ा बस्ती की तरफ काफी तेज रफ्तार से बढ़ रहा है।
 कोसी के कटाव के रफ्तार से चिंतित सैकड़ों महिला और पुरुष व ग्रामीण सोमवार को नवगछिया के अनुमंडल पदाधिकारी अखिलेश कुमार से मिलने पहुंचे। जिनके प्रतिनिधि मण्डल ने जिला पदाधिकारी के नाम एक ज्ञापन भी अनुमंडल पदाधिकारी को सौंपा। साथ ही स्थिति की भयावहता से अवगत भी कराया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए अनुमंडल पदाधिकारी अखिलेश कुमार ने तत्काल बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारियों से वार्ता की। जिनके अनुसार विभाग को स्थिति से अवगत कराया गया है। लेकिन जनवरी माह से पहले कोई भी कार्य प्रारम्भ नहीं हो सकता है। इस मामले की जानकारी अनुमंडल पदाधिकारी ने तत्काल जिला पदाधिकारी को भी दे दी।
वहीं इस पंचायत के मुखिया मुक्ति नाथ सिंह ने बताया कि 14 अगस्त 1987 की कोसी की प्रलयंकारी बाढ़ और कटाव ने एक दिन में ही पूरे गाँव को अपनी गोद में समा लिया था। जहां से सभी लोग अपनी जान बचाकर किसी तरह से पुरानी रेलवे लाइन पर शरण लिये। जो अबतक वहीं पर समय व्यतीत कर रहे हैं। जिनके पुनर्वास के लिए अब तक कई बार प्रक्रिया भी अपनायी गयी। जो आज तक सफल नहीं हो सकी है। जिसमें से 129 परिवारों को बिहार सरकार की जमीन का पर्चा भी मिला। जिसकी वे रसीद भी कटा रहे हैं।  लेकिन अब तक उस जमीन पर उन्हें बसाने की प्रक्रिया लंबित है।
पिछले चार पाँच दिनों से पुनः कोसी का काटा विकराल रूप ले रहा है। जिससे अब इस पुरानी रेल लाइन पर भी खतरा मंडराने लगा है। जहां से कोसी की धारा अब मात्र पचास फीट से भी कम रह गयी है। जहां रह रहे 1500 परिवार का भविष्य भी खतरे में नजर आ रहा है।