लंबी कवायद के बाद बिहार सरकार ने अपनी बालू नीति की घोषणा कर दी है। बालू घाटों की बंदोबस्ती पांच साल के लिए होगी। ठेका लेने वाले अब बीच में काम नहीं छोड़ सकेंगे। सूर्योदय से सूर्यास्त तक जेसीबी और पोकलेन मशीन का इस्तेमाल प्रतिबंधित रहेगा। बीच में बंदोबस्ती छोड़ने पर संपूर्ण बंदोबस्ती राशि का भुगतान करना होगा। साथ ही भुगतान की गई प्रतिभूति की राशि के अतिरिक्त अन्य संपूर्ण राशि जब्त कर ली जाएगी। हर जिले की संपूर्ण नदी विशेष को एक खंड माना जाएगा। इस तरह हर जिले की सभी नदियों को अलग-अलग खंड मानते हुए एक इकाई के रूप में बंदोबस्ती की जाएगी।1 कार्यादेश जिलाधिकारी जारी करेंगे। बंदोबस्ती के लिए प्रस्तावित खनन क्षेत्र का रकबा पांच हेक्टेयर से कम नहीं होगा। बालू घाटों की इकाई का निर्माण करते समय भौगोलिक स्थिति, विधि व्यवस्था, राजस्व हित, अवैध खनन, नीलामी की सुविधा को ध्यान में रखते हुए भोजपुर, पटना एवं सारण को एक इकाई, रोहतास एवं औरंगाबाद को एक इकाई तथा जमुई एवं लखीसराय को एक इकाई के रूप में बंदोबस्त करने पर विचार किया जाएगा। बंदोबस्ती राशि की दो फीसद राशि बालू खनन क्षेत्रों के पुनरुद्धार-पुनर्वास के लिए अलग कोष में जमा कराना होगा।1प्रतिबंधित क्षेत्र :1ल्ल किसी रेल पुल एवं राज्य या राष्ट्रीय उच्च पथ के पुल से 300 मीटर तथा सामान्य पुल से 100 मीटर दोनों तरफ का क्षेत्र।1ल्ल कोईलवर रेलवे पुल के दक्षिण की ओर 600 मीटर तथा उत्तर की तरफ 300 मीटर1ल्ल किसी सार्वजनिक स्थल या श्मशान घाट, धार्मिक स्थल आदि से 50 मीटर दूरी तक का क्षेत्र1ल्ल नदी के दोनों किनारे से 5 मीटर का क्षेत्र1ल्ल डैम-बीयर-सिंचाई के लिए बनी अन्य संरचना से अप स्ट्रीम और डाउन स्ट्रीम की ओर से 100 मीटर का क्षेत्र1ल्ल बाढ़ नियंत्रण तटबंध से 46 मीटर तक का क्षेत्र (46 मीटर से 61 मीटर तक 1.80 मीटर की गहराई तक तथा 61 से 91 मीटर तक 2.40 मीटर तक गहराई में खुदाई की जा सकेगी) तक खुदाई नहीं कर सकेंगे।