यों तो अगस्त का महीना माना ही जाता है क्रांतिकारियों का महीना | जिनके द्वारा की गयी क्रान्ति आज भी अगस्त क्रान्ति के नाम से जानी जाती है |
इसी अगस्त क्रान्ति के इतिहास में नवगछिया के प्रथम अमर शहीद हैं क्रान्ति वीर मुंशी साह |
अगस्त क्रान्ति के दौरान आजादी की लड़ाई लड़ने के क्रम में नवगछिया के बीस वर्षीय क्रान्ति वीर युवा सपूत मुंशी साह को अंगरेजों ने मारी थी तीन गोली |
नवगछिया माल गोदाम पर भारत माता की जय नारे के साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराने के दौरान 11 अगस्त 1942 को अंग्रेजों ने अपनी गोली का बनाया था शिकार ।
जिनका भागलपुर स्थित राजकीय अस्पताल में चला था 48 घंटों तक इलाज |
नवगछिया के उस क्रान्ति वीर अमर शहीद मुंशी साह ने 13 अगस्त 1942 को भागलपुर में ली थी अंतिम सांस |
जिनकी याद में आज भी नवगछिया शहर में विराजमान है अमर शहीद मुंशी पुस्तकालय |
जहां 13 अगस्त को मनाया गया उस क्रान्ति वीर का शहीद दिवस |
भारत माता के इस सच्चे सपूत को दर्जनों लोगों ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर उसे याद किया |
मौके पर सेवा निवृत प्रो0 हरिनन्दन प्रसाद, सेवा निवृत आरपी राकेश, अधिवक्ता कैलाश यादव, नवगछिया समाचार के संपादक राजेश कानोडिया, समाजसेवी योगेंद्र गुप्ता उर्फ टाइगर, आरएसएस के भूपेन्द्र पोद्दार, गजाधर कुमार, जय जय राम आदि कई प्रमुख लोगों की मौजूदगी देखी गयी |
वैदेही गुरुकुल
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