आम आदमी के पास गैर कानूनी तरीके से अर्जित आय हो तो उसे वर्षो तक कैद
में रहना पड़ सकता है। लेकिन जब यही धन बैंकों के पास
मिलता है तो उन पर महज 50 लाख या एक-दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। रिजर्व बैंक ने देश के 22 प्रमुख बैंकों पर सोमवार को नो योर कस्टमर (केवाइसी) नियमों का सही तरीके से पालन नहीं करने के आरोप में 50 लाख रुपये से तीन करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया है।
लगभग दो महीने पहले निजी वेबपोर्टल कोबरापोस्ट ने अपने स्टिंग के दूसरे पार्ट में देश के बैंकों पर संगीन आरोप लगाए थे कि वे काले धन को सफेद करने और अवैध तरीके से पैसा ट्रांसफर करने का काम रहे हैं। रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की तरफ से इसकी जांच की गई, लेकिन कुछ खास पता नहीं चला। यही वजह है कि इन बैंकों को महज कुछ करोड़ का जु्र्माना लगाकर छोड़ दिया गया है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ), बैंक आफ बड़ौदा (बॉब), केनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया (बीओआइ), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जैसे सरकारी बैंकों पर सबसे ज्यादा तीन-तीन करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। निजी क्षेत्र के यस बैंक, रत्नाकर बैंक, लक्ष्मी विलास बैंक, आइएनजी वैस्या, धनलक्ष्मी बैंक पर 50-50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। वैसे, इन सभी पर कुल मिलाकर 49.5 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोंका गया है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड, सिटी बैंक सहित सात बैंकों को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है। करीब चार महीने पहले कोबरापोस्ट ने स्टिंग के पहले पार्ट में दिग्गज निजी बैंकों- आइसीआइसीआइ, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस को निशाना बनाया था। बाद में आरबीआइ ने इन तीनों बैंकों पर 10.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
आरबीआइ की तरफ से कहा गया है कि इन बैंकों पर छह तरह के आरोप साबित हुए हैं। लेकिन मनी लांड्रिंग (गैर कानूनी तरीके से धन का लेनदेन) का आरोप साबित नहीं हुआ है। वैसे, इस बारे में अभी और जांच की जा रही है। आयकर से जुड़ी एजेंसियां भी इन बैंकों के खिलाफ जांच में जुटी हुई हैं। उनकी रिपोर्ट आने के बाद ही अंतिम तौर पर कुछ कहा जा सकेगा। लेकिन निर्धारित सीमा से ज्यादा धन निकासी की इजाजत देने, स्वर्ण आयात नियमों का पालन नहीं करने, ग्राहकों के सत्यापन संबंधी नियमों का उल्लंघन करने के आरोप सही पाए गए हैं। साफ है कि रिजर्व बैंक नियम तो बनाता है, लेकिन उनका पालन करवाने में वह अक्षम है। यह पूरा घटनाक्रम यह भी साबित करता है कि पूरा बैंकिंग उद्योग ही आरबीआइ के नियमों को ताक पर रखकर चल रहा है।
मिलता है तो उन पर महज 50 लाख या एक-दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। रिजर्व बैंक ने देश के 22 प्रमुख बैंकों पर सोमवार को नो योर कस्टमर (केवाइसी) नियमों का सही तरीके से पालन नहीं करने के आरोप में 50 लाख रुपये से तीन करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया है।
लगभग दो महीने पहले निजी वेबपोर्टल कोबरापोस्ट ने अपने स्टिंग के दूसरे पार्ट में देश के बैंकों पर संगीन आरोप लगाए थे कि वे काले धन को सफेद करने और अवैध तरीके से पैसा ट्रांसफर करने का काम रहे हैं। रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की तरफ से इसकी जांच की गई, लेकिन कुछ खास पता नहीं चला। यही वजह है कि इन बैंकों को महज कुछ करोड़ का जु्र्माना लगाकर छोड़ दिया गया है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ), बैंक आफ बड़ौदा (बॉब), केनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया (बीओआइ), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जैसे सरकारी बैंकों पर सबसे ज्यादा तीन-तीन करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। निजी क्षेत्र के यस बैंक, रत्नाकर बैंक, लक्ष्मी विलास बैंक, आइएनजी वैस्या, धनलक्ष्मी बैंक पर 50-50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। वैसे, इन सभी पर कुल मिलाकर 49.5 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोंका गया है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड, सिटी बैंक सहित सात बैंकों को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है। करीब चार महीने पहले कोबरापोस्ट ने स्टिंग के पहले पार्ट में दिग्गज निजी बैंकों- आइसीआइसीआइ, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस को निशाना बनाया था। बाद में आरबीआइ ने इन तीनों बैंकों पर 10.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
आरबीआइ की तरफ से कहा गया है कि इन बैंकों पर छह तरह के आरोप साबित हुए हैं। लेकिन मनी लांड्रिंग (गैर कानूनी तरीके से धन का लेनदेन) का आरोप साबित नहीं हुआ है। वैसे, इस बारे में अभी और जांच की जा रही है। आयकर से जुड़ी एजेंसियां भी इन बैंकों के खिलाफ जांच में जुटी हुई हैं। उनकी रिपोर्ट आने के बाद ही अंतिम तौर पर कुछ कहा जा सकेगा। लेकिन निर्धारित सीमा से ज्यादा धन निकासी की इजाजत देने, स्वर्ण आयात नियमों का पालन नहीं करने, ग्राहकों के सत्यापन संबंधी नियमों का उल्लंघन करने के आरोप सही पाए गए हैं। साफ है कि रिजर्व बैंक नियम तो बनाता है, लेकिन उनका पालन करवाने में वह अक्षम है। यह पूरा घटनाक्रम यह भी साबित करता है कि पूरा बैंकिंग उद्योग ही आरबीआइ के नियमों को ताक पर रखकर चल रहा है।