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पाक चुनाव : इमरान खान और नवाज शरीफ जीते

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के प्रमुख नवाज शरीफ तथा उनके प्रतिद्वंद्वी एवं पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान ने आम चुनावों में
अपनी-अपनी सीट से जीत हासिल की।
शरीफ ने पंजाब प्रांत की सरगोधा सीट से जीत हासिल की। खबर है कि उनकी पार्टी उन 203 सीटों में 110 पर आगे चल रही है जिनके रुझान मिल रहे हैं। नेशनल असेंबली की 272 सीटों के लिए शनिवार को ही चुनाव कराए गए थे।
क्रिकेटर से अभिनेता बने इमरान ने पेशावर-1 सीट से जीत हासिल की। उनकी पार्टी 32 सीटों पर आगे है।
‘एक्सप्रेस न्यूज’ की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एएनपी के गुलाम बिलौर ने एनए-1 (पेशावर-1) सीट पर इमरान खान से हार स्वीकार कर ली है। इमरान को इस सीट पर 66,464 वोट मिले।’
पाकिस्तान के 66 वर्ष के इतिहास में पहली बार लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता परिवर्तन हो रहा है।
मतदान के बाद शनिवार शाम को शुरू हुई मतगणना में खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी पेशावर, लाहौर, रावलपिंडी और मियांवली में आगे चल रही है।
शुरुआती रुझान के अनुसार, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी और पीएमएल-एन के बीच सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले पंजाब प्रांत में कांटे की टक्कर है। नेशनल एसेंबली के लिए 272 सीटों पर हुए चुनाव में से आधे से ज्यादा इसी प्रांत में हैं।
जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के अपने धड़े के प्रमुख और खबर-पख्तूनख्वा के बाहुबली मौलाना फजलुर रहमान अपनी सीट पर काफी पीछे चल रहे हैं।
तालिबान सरीखे आतंकवादी समूह की ओर से मिली जान से मारने की धमकियों के बावजूद बड़ी संख्या में पाकिस्तान मतदाताओं ने नेशनल एसेंबली और प्रांतीय एसेंबलियों के लिए हुए मतदान में अपने मताधिकार का प्रयोग किया। मतदान समाप्त होते ही मतगणना आरंभ हो गई।
देश के इतिहास में पहली बार लोकतांत्रिक सत्ता हस्तांतरण के लिए हो रहे मतदान के दौरान हुई हिंसा की विभिन्न घटनाओं में कम से कम 24 लोग मारे गए।
मतदान समाप्ति के लिए पूर्वनिर्धारित समय (शाम पांच बजे) के बाद भी मतदान केन्द्रों पर लगी लंबी लाइनों को देखते हुए पाकिस्तान चुनाव आयोग ने मतदान के समय को एक घंटा बढ़ा दिया। स्थानीय समयानुसार शाम छह बजे तक तथा भारतीय समयानुसार शाम साढ़े छह बजे तक मतदान हुआ।
तालिबानी प्रभाव वाले क्षेत्रों के संवेदनशील मतदान केन्द्रों की सुरक्षा के लिए तैनात किए गए पांच हजार सैनिकों सहित देश में शांतिपूर्ण, पारदर्शी और स्वतंत्र चुनाव कराने के लिए 75,000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था।
तालिबान की ओर से मतदान केन्द्रों पर आत्मघाती हमले की धमकी के बावजूद मतदान केन्द्रों के बाहर मतदाताओं की लंबी कतारें देखी गईं। तालिबान ने कहा था कि चुनाव लोकतंत्र की ‘काफिर प्रणाली’ का हिस्सा हैं इसलिए वह उन्हें निशाना बनाएगा।
देश के सबसे बड़े शहर कराची, खबर-पख्तूनख्वा और बलुचिस्तान प्रांतों में हुए कई बम विस्फोटों और हमलों के बावजूद बड़ी संख्या में लोगों ने मतदान किया।