भागलपुर शहर में हुए एक फायरिंग प्रकरण में पुलिस ने सतारूढ़ दल के सचेतक नरेंद्र कुमार नीरज
उर्फ गोपाल मंडल पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। शनिवार को तातारपुर पुलिस
उनके आवास पर लाइसेंसी रिवॉल्वर लेने पहुंची। यद्यपि, पुलिस को वहां से
बैरंग होना पड़ा। विधायक ने रिवॉल्वर देने से इंकार करते हुए इस मामले में एसएसपी से खुद मिलने की बात कही। साथ ही उन्होंने सीएम को फैक्स के माध्यम से एक संदेश भेज पुलिसिया कार्रवाई के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
घटनाक्रम : थाना क्षेत्र में काजवली चौक पर इमदाद अली लेन के समेली वासा की जमीन पर दखल को लेकर गत सोमवार को जयप्रकाश महंत व देवव्रत पांडेय के लोगों के बीच विवाद हो गया था। जयप्रकाश के पक्ष से वहां नवगछिया के गोपालपुर विधानसभा के जदयू विधायक गोपाल मंडल भी पहुंचे थे। इसी दौरान वहां गोलीबारी व मारपीट की घटना हुई थी। इसमें विधायक द्वारा भी अपने सर्विस रिवॉल्वर से फायरिंग करने की बात सामने आई थी। जमीन विवाद का यह मामला कोर्ट में लंबित है।
सीएम को लिखे पत्र के अंश
माननीय मुख्यमंत्री जी,
भागलपुर जिले में पुलिस द्वारा भू-माफिया से मिलीभगत कर जमीन पर कब्जा दिलाया जा रहा है। गत दिनों मुझे भी इसी षडयंत्र के तहत घेरे में लेने का प्रयास किया गया। मेरे राजनैतिक गुरु सह जेपी आंदोलन से जुड़े आंदोलनकारी जयप्रकाश महंत की जमीन पर 28 जनवरी को कब्जा करने का प्रयास किया गया। उनकी पत्नी व बच्ची के साथ दुर्व्यवहार किया गया। जयप्रकाश महंत हमारे दल के समर्पित कार्यकर्ता हैं। इस नाते मैं वहां गया। सर्वप्रथम अपने अंगरक्षक के साथ कोतवाली थाने गया था। लेकिन वहां कोई पुलिस अधिकारी नहीं थे। सो, पुन: मैं घटनास्थल पर गया। वहां का दृश्य हृदयविदारक था। उसे संभालने के लिए मैंने अपने लाइसेंसी रिवॉल्वर से फायर करने का प्रयास किया। लेकिन मिस फायर हो गया। इसी बीच उपद्रवियों ने मेरे ऊपर गोली चला दी। भीड़ में हो हल्ला के बीच मुझे लगा कि मेरे रिवॉल्वर से ही फायर हुआ है। इसलिए मैंने सबके सामने फायरिंग की बात कबूल ली। बाद में रिवॉल्वर के निरीक्षण में पाया कि वो मिस फायर हुआ था। उस वक्त अंगरक्षक द्वारा मेरी जान की रक्षा की गई। जबकि तातारपुर थानाध्यक्ष संजय कुमार विश्वास द्वारा मुझे ही दोषी ठहराया जाने लगा। इस मामले की दर्ज प्राथमिकी में किसी पक्ष द्वारा मेरे ऊपर कोई आरोप नहीं लगाया गया है। इसके बावजूद पुलिस जबरन मेरा नाम घसीट रही है। तातारपुर थानाध्यक्ष की भू-माफिया से सांठगांठ रही है। इन्हें कतिपय उच्चाधिकारियों का भी परोक्ष रूप से समर्थन है। जब मैंने सभी बातों को स्पष्ट कर दिया है तो रिवॉल्वर जांच का कोई औचित्य नहीं है। जब एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि के साथ पुलिस इस प्रकार का बर्ताव कर सकती है तो आम लोगों की क्या स्थिति होगी ?