
जनता दरबार में ही प्राथमिक उपचार किया गया।
जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में अपनी समस्याओं को लेकर पहुंची महिलाओं की कतार को सुनने के बाद मुख्यमंत्री विकलांगों से मिलने पहुंचे। विकलांगों की कतार में कुछ लोगों से मिलने के बाद जैसे ही वह थोड़ा आगे बढ़े कि बाढ़ की सरोजनी का नंबर आ गया। सरोजनी ने इकट्ठे कई बातें रख दी। कहा-मुझे नौकरी चाहिए, आईटीआई करा दीजिए और कंप्यूटर सीखाने में भी मदद कीजए। मुख्यमंत्री ने कहा कि विकलांगों को नौकरी में आरक्षण है। आईटीआई में तो नामांकन के लिए प्रक्रिया है ही। इतना सुनते ही सरोजनी ने अपने पास से ब्लेड निकाल लिया और हथेली काट ली। मुख्यमंत्री के साथ चल रहे पुलिसकर्मी पवन ने उससे तुरंत ब्लेड छीन ली। इस क्रम में उन्हें अधिक जख्म लगा। मुख्यमंत्री हैरान रह गये। उन्होंने कहा-इस तरह से कैसे मिल सकते हैं? सरोजनी के हाथ पर मुख्यमंत्री आवास में ही मरहम-पंट्टी की गयी। मुख्यमंत्री ने वहां मौजूद पटना के जिलाधिकारी संजय सिंह को कहा- कंप्यूटर की ट्रेनिंग के लिए इसका नाम लिखवा दीजिए। जो भी पैसा खर्च होगा उसे मैं अपने वेतन से दे दूंगा। कुछ देर के बाद युवती को जिला प्रशासन के लोग अपने साथ लेकर गए।
सरोजनी का ब्लेड लेकर जनता दरबार में पहुंचना चौंकाने वाला था। उसने कहा कि उसके पिता की दिमागी हालत ठीक नहीं है। भाई की हैसियत ऐसी नहीं कि वह उसे मदद करे। वह खुद विकलांग है पर कोई मदद नहीं हो रही। स्थानीय स्तर पर अधिकारियों से मदद की गुहार के साथ मिल चुकी है पर कोई फायदा नहीं हुआ। आज सोचकर आयी थी कि काम नहीं होगा तो यही जान दे दूंगी। अगर आगे काम नहीं हुआ तो फिर आउंगी और यहीं जान दे दूंगी। यह दूसरा मौका है जब किसी ने जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में जान देने की कोशिश की। इसके पहले एक युवक किरोसिन की छोटी शीशी लेकर पहुंच गया था।