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हम न तो बिहार के आगे सोचते हैं, न देखते हैं

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा-'हम न तो बिहार के आगे सोचते हैं और न ही देखते हैं। यहां के लोगों ने जो काम दिया है, उसी में लगे हैं। मैं तो हमेशा से कहता रहा हूं कि गठबंधन में बड़े दल के नेता को प्रधानमंत्री बनना चाहिए। हम तो छोटे दल के हैं, हम कैसे बनेंगे?' मुख्यमंत्री, सोमवार को जनता दरबार के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे। उनसे राजग में प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी को ले चल रही जुबानी लड़ाई के बारे में
पूछा गया था। यह भी कि भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने तो कहा है कि आप (नीतीश कुमार) राजग के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं हो सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने मुस्कुराते हुए कहा- 'रविशंकर जी तो हमारी ही बात कह रहे हैं।' मुख्यमंत्री ने तुरंत यह भी कहा-'अब इसे यूं न समझ लिया जाए कि डिनायल इज हाफ कनफरमेशन।' यानी, इनकार आधी स्वीकारोक्ति है।
प्रोन्नति में आरक्षण के मसले पर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए प्रस्ताव के पक्ष में जदयू की वोटिंग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी पार्टी ने काफी पहले अपने स्टैंड को साफ कर दिया था। यह संविधान संशोधन का मसला है। कुछ दलों को छोड़कर आम तौर पर सभी दल के लोग इसके पक्ष में हैं। वैसे केंद्र की सरकार के पास साधारण बहुमत भी नहीं है।
इस प्रसंग को केंद्र में रख मुख्यमंत्री से यह भी पूछा गया कि क्या लोकसभा चुनाव समय से पूर्व हो जाएंगे? उन्होंने कहा-'मेरी अपनी समझ है कि लोकसभा चुनाव समय पर होंगे। केंद्र की सरकार कामचलाऊ तरीके से बहुमत हासिल करती रहेगी। वैसे मैं चौबीसों घंटे चुनाव के लिए तैयार हूं।'
गुजरात में मतदान के खासे फीसद पर मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात काफी संपन्न प्रदेश है। वोट अधिक से अधिक पड़ें यह तो लोकतंत्र की खूबसूरती है।
विशेष राज्य के दर्जे के लिए पिछड़े राज्यों को एकजुट किए जाने के सवाल पर मुख्यमंत्री का कहना था कि अभी ऐसी स्थिति नहीं है कि कोई फ्रंट बन जाए और एक आम कार्यक्रम बने। जो राज्य राष्ट्रीय औसत से नीचे हैं उन्हें विशेष सहायता मिलनी चाहिए। मेरा तो यह संकल्प है कि जब तक बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल जाता है, तब तक मैं अपने अभियान को जारी रखूंगा। कम से कम प्रधानमंत्री ने यह स्वीकार तो कर लिया है कि बिहार पिछड़ा है। वैसे भी अगर निर्णय लेने की इच्छा हो, तो अनेक रास्ते हैं और अगर निर्णय नहीं लेना चाहते तो कई बहाने हैं।