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खरना आज, तैयारी तेज

सूर्य षष्ठी व्रत के चार दिवसीय अनुष्ठान के दूसरे दिन रविवार को व्रती खरना पूजा करेंगे। इस क्रम में व्रतधारी दिनभर उपवास रखकर सूर्यास्त के बाद घी मिश्रित रोटी, साठी व गुड़ की खीर, मूली, अदरक व केला छठी मईया को समर्पित करेंगे। व्रती के भोजन के बाद परिजन इसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण करेंगे। इस प्रसाद को मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी के जलावन से पकाया जाएगा। इधर लोग पूरी आस्था के साथ छठ पूजा एवं व्रत की तैयारी में जुट गए हैं। बाजारों व घरों में
गूंज रहे छठ गीतों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है। खरना पूजा के महत्व पर चर्चा करते हुए आचार्य शिव शंकर ठाकुर  ने बताया कि सूर्य पुराण के अनुसार मां षष्ठी देवी का आगमन खरना को होता है। उनकी विदाई परना को होती है। प्राचीनकाल में ऋषि-मुनियों द्वारा मां षष्ठी देवी की आराधना वनों में की जाती थी। खरना पूजा में अपने अ‌र्घ्य की संख्या के अनुसार ही नेवज निकाला जाता है। खरना के दिन से व्रती 16 प्रहर का उपवास रखकर छठ का अनुष्ठान करते हैं। इस व्रत के करने से चर्मरोग, आरोग्यता, संतान प्राप्ति व इच्छित कामनाओं की पूर्ति होती है।