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गुजराल का निधन, 7 दिन का राष्ट्रीय शोक

शरणार्थी से 12वें प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर सम्भालने वाले इंद्र कुमार गुजराल का शुक्रवार को लम्बी बीमारी के बाद गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनके निधन पर देश विदेश से शोक संदेशों का तांता लगा रहा. गुजराल के निधन पर सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है.
गुजराल का अंतिम संस्कार शनिवार को पूरे
राजकीय सम्मान के साथ तीन बजे होगा. इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री का पार्थिव शरीर उनके निवास स्थान 5 जनपथ पर लोगों के दर्शनार्थ रखा जाएगा.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विशेष बैठक बुलाकर शोक संदेश पारित किया जिसमें गुजराल को महान देशभक्त, दूरदर्शी नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी बताया गया. गुजराल के निधन के बाद संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गई.
पूर्व प्रधानमंत्री को सीने में संक्रमण के कारण 19 नवम्बर को मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वह तब से जीवन रक्षक प्रणाली पर थे. नरेश त्रेहन के नेतृत्व में नौ वरिष्ठ चिकित्सकों का दल गुजराल की देखरेख कर रहा था.
उपराष्ट्रपति एम. हामिद अंसारी ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. अपने संदेश में उन्होंने कहा कि गुजराल एक प्रतिष्ठित नेता और सार्वजनिक क्षेत्र की एक महान हस्ती थे. उन्होंने विदेश मंत्री और सोवियत संघ में राजदूत सहित देश के लिए विभिन्न तरह से कई दशकों तक पूरी निष्ठा, ईमानदारी और देशभक्ति के साथ काम किया. उन्हें जानने वाले उन्हें उनके स्नेहशील, दयालु और मैत्रीपूर्ण स्वभाव के लिए हमेशा याद रखेंगे.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि मैं गुजराल के निधन पर अत्यधिक दुखी हूं. वह विलक्षण नेता एवं शानदार सार्वजनिक हस्ती थे जिन्होंने विभिन्न पदों पर रहते हुए देशभक्ति एवं समर्पण के साथ देश की सेवा की.
रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने गुजराल को परिपक्व राजनीतिज्ञ की संज्ञा दी और कहा कि वह अपनी बात कहने से कभी नहीं हिचके.
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी गुजराल के निधन पर दुख प्रकट करते हुए गंगा नदी जल बंटावारा समझौते में उनके योगदान को याद किया.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रमुख नितिन गडकरी एवं कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने भी गुजराल के निधन पर शोक व्यक्त किया.