केंद्र सरकार अब सब्सिडी देने के
तरीके में बदलाव करने जा रही है। सरकार अगले साल एक जनवरी से डायरेक्ट कैश
ट्रांसफर स्कीम शुरू कर रही है। शुरू में देश के 51 जिलों और साल भर में
इसे पूरे देश में लागू करने की योजना है। इससे करीब 21 करोड़ लोगों के
खातों में सीधे पैसा जाने लगेगा। यूपीए की दूसरी सरकार के इस कदम को
2014 में लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
2014 में लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
एक
बार पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि दिल्ली से 1 रुपये चलता
है लेकिन आम आदमी तक पहुंचता है महज 10 पैसा। अब सरकार की कोशिश है कि आम
आदमी तक पूरा का पूरा रुपया पहुंचे। जरुरतमंदों को बिचौलियों की बंदरबांट
से बचाने के लिए सरकार 1 जनवरी 2013 से सब्सिडी की बजाय सब्सिडी के बराबर
पैसा देने की योजना शुरू कर रही है। योजना शुरू होने के बाद लोगों को बाजार भाव पर ही चीजें खरीदनी होंगी। इस
योजना पर पीएम की अगुवाई में सोमवार को एक अहम बैठक होगी जिसमें इस नई नीति
को मंजूरी मिलना तय माना जा रहा है।
दरअसल गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले
परिवारों को सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानि पीडीएस के तहत अनाज, खाद,
केरोसिन, रसोई गैस और खेती करने का सामान सब्सिडी पर मुहैया कराती है। अब
नई व्यवस्था के लागू होने के बाद BPL परिवारों को सब्सिडी पर सामान देने की
बजाय अब हर साल सीधे उन परिवारों के अकाउंट में 30 से 40 हजार रुपये डाल
दिए जाएंगे। गरीबी रेखा से ऊपर वाले लोगों को भी रसोई गैस पर सब्सिडी के
बदले वो रकम दे दी जाएगी।
आधार
कार्ड धारक, पेंशन-स्कॉलरशिप लेने वाले या किसी भी तरह की सब्सिडी पाने
वालों को अब सीधे ही अपने बैंक अकाउंट में पैसे मिल जाएंगे। इसके लिए
उन्हें अपना आधार कार्ड का नंबर अपने सर्विस प्रोवाइडर को देना होगा। लोग
इसके बाद कैश कार्ड से यह रकम हासिल कर पाएंगे। शुरुआत में सिर्फ कुकिंग
गैस की सब्सिडी के बदले ही कैश ट्रांसफर किया जाएगा, लेकिन सरकार की योजना
है कि इसकी सफलता के आधार पर इस योजना में फिर अनाज और खाद भी शामिल किया
जाएगा। इनके बाद इस योजना के तहत सब्सिडी पर मिलने वाली सभी चीजें शामिल कर
ली जाएंगी।
अब
सवाल उठता है कि आखिर क्यों सरकार को लगता है कि सब्सिडी की बजाय लोगों को
सीधे सब्सिडी की रकम दे दी जाए। दरअसल जरूरतमंदों तक सब्सिडी ना पहुंच
पाना और सब्सिडी पर मिलने वाली चीजों के घटिया होने की शिकायतें, वो वजह
हैं जिनके चलते सरकार इस नए आइडिया पर काम कर रही है। ।
लेकिन
इस योजना को लागू करने में चुनौतियां भी कम नहीं। अभी तक देश के 120 करोड़
में से सिर्फ 21 करोड़ लोगों के पास ही आधार कार्ड है। ज्यादातर बीपीएल
परिवारों के पास तो बैंक अकाउंट भी नहीं है। बहुत सारे गांवों में दूर-दूर
तक किसी भी बैंक की कोई ब्रांच तक नहीं।
चुनाव
में महज 18 महीने बचे हैं लेकिन अब जाकर जागी है सरकार। डायरेक्ट कैश
ट्रांसफर सर्विस को सरकार तुरुप के इक्के के तौर पर देख रही है। 2009 के
चुनाव में जो काम मनरेगा ने किया था सरकार को उम्मीद है कि इस चुनाव में
वही काम DCTS करेगी।