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नियोजित शिक्षकों की मांग के खिलाफ प्रशासन ने कसा शिकंजा

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अधिकार यात्रा में शिक्षकों के संभावित विरोध प्रदर्शन से भागलपुर जिला प्रशासन चिंतित है। प्रशासन इस तरह का कोई अवसर नहीं देना चाहता है जिससे मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में विघ्न पैदा हो। शुक्रवार को दिन में शिक्षक नेताओं के साथ तीन से चार बार अलग-अलग हुई बैठकों के बाद प्रशासन को शिक्षक नेताओं पर भरोसा नहीं रह गया है। देर शाम प्रशासन ने नियोजित शिक्षकों पर शिकंजा कस दिया है। 14 नियोजित शिक्षकों पर सदर अनुमंडल पदाधिकारी सुनील कुमार ने
धारा 107 के तहत कार्रवाई कर दी है। इन शिक्षकों पर एक वर्ष की अवधि के लिए धारा 107 लगाया गया है। शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए ढाई लाख रुपये के समतुल्य राशि के दो प्रतिभूतियों के साथ बंध पत्र निष्पादित करने का भी निर्देश दिया गया है। जिन शिक्षकों पर धारा 107 के तहत कार्रवाई हुई है उनमें प्रदेश अध्यक्ष पूरण कुमार, विजय कुमार सिंह, वीर शिवाजी, संजय कुमार झा, राजेंद्र प्रसाद यादव, रंजीत रजक, विनय कुमार विमल, विभाष चंद्र पासवान, कुमार विद्यानंद, सियाराम यादव, नवल किशोर मंडल, कृत्यानंद मधुकर, निर्भय कुमार झा व राहुल कुमार शामिल हैं।
इसके पूर्व नियोजित और सामान्य शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल के साथ जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ शुक्रवार को दिन में अलग-अलग बैठकें हुई। शिक्षक नेताओं के साथ डीएम, एसएसपी, तीनों एसडीओ, तीनों डीसीएलआर व डीएसपी ने अलग-अलग बैठकें की हैं। इन बैठकों में जिला शिक्षा पदाधिकारी और डीपीओ भी थे। बैठकों में विरोध करने वाले शिक्षकों को स्पष्ट रूप से कह दिया कि अगर सात को मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के दिन कोई भी शिक्षक नेता सड़क पर दिखे तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने शिक्षक नेताओं को चेता दिया है कि विरोध करने वाले मुकदमे में घसीटे जाएंगे। डीएम की बैठक में शिक्षक नेताओं को चिह्नित भी कर लिया गया है। सादे कागज पर उनकी उपस्थिति के साथ मोबाइल नम्बर व पदनाम ले लिया गया है। उधर, शिक्षकों को नीतीश के कार्यक्रम से दूर रखने के लिए आनन फानन में दो दिवसीय (छह और सात अक्टूबर को) संकुल स्तरीय कार्यशाला आयोजित की जा रही है। जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के हस्ताक्षर से जारी पत्र में सभी शिक्षकों को भाग लेना अनिवार्य घोषित कर दिया गया है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि जो शिक्षक रविवार को कार्यशाला में सरकारी ड्यूटी में रहेंगे उन्हें बाद में इसके बदले क्षतिपूर्ति अवकाश दिया जाएगा। पत्र जारी होने से शिक्षकों के मन में यह सवाल उठ गया है कि अचानक शनिवार व रविवार को ही कार्यशाला आयोजित करने की क्या जरूरत पड़ गई। कार्यशाला की अवधि सुबह आठ बजे से 2.30 बजे तक है। इसमें उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का क्रियान्वयन व बालिका शिक्षा व विद्यालय से बाहर बच्चों का आच्छादन, शिक्षा का अधिकार अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन व बिहार शिक्षक दर्पण डायरी का संधारण की जानकारी दी जाएगी। शिक्षक नेताओं का मानना है कि उनकी एक सूत्री मांग है कि समान काम के बदले समान वेतन मिले।