रेल मंत्री के पद से तृणमूल कांग्रेस के नेता मुकुल रॉय के इस्तीफे के बाद शनिवार को रेल मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री सीपी जोशी को सौंप दिया गया है। प्रधानमंत्री की सिफारिश पर रॉय समेत तृणमूल कांग्रेस के सभी छह मंत्रियों का इस्तीफा मंजूर करते हुए राष्ट्रपति ने जोशी को रेल मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपे जाने का निर्देश जारी कर दिया। इस तरह फिलहाल रेल मंत्रालय यूपीए गठबंधन की अगुवा कांग्रेस के खाते में आ गया है।
गठबंधन सरकारों के दौर में पिछले करीब डेढ़ दशक में यह पहला मौका है जब रेल मंत्रालय सरकार की अगुवाई कर रहे सबसे बड़े दल के पास आया है। अभी तक रेल मंत्रालय छोटे घटक दलों के पास ही रहा था। गौरतलब है कि एनडीए सरकार में पहले ममता बनर्जी और फिर नीतीश कुमार रेलमंत्री बने थे।
यूपीए वन में दो दर्जन से ज्यादा सांसदों की बदौलत राजद प्रमुख लालू प्रसाद रेल मंत्रालय संभालने में कामयाब रहे थे। वहीं यूपीए दो में पहले ममता को रेल मंत्रालय मिला। ममता जब मुख्यमंत्री बनीं तो दिनेश त्रिवेदी को अपना उत्तराधिकारी बनाया। मगर बजट में रेलवे की सेहत सुधारने का त्रिवेदी का कठोर कदम दीदी को रास नहीं आया तो उन्हें चलता कर रॉय को कुर्सी सौंप दी गई।
अब दस जनपथ के करीबी माने जाने वाले राजस्थान के दिग्गज कांग्रेसी सीपी जोशी के लिए तात्कालिक चुनौती रेलवे की बिगड़ती दशा को पटरी पर लाना है। रेलवे की खराब हालत का जोशी को भी बखूबी अंदाजा है इसलिए मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार मिलने के बाद मीडिया से रू-ब-रू हुए जोशी ने बड़े वादे करने से परहेज किया। उनका कहना था कि अभी रेलवे को समझने के लिए उन्हें थोड़ा समय चाहिए और निसंदेह प्रधानमंत्री से इस बारे में वे मार्गदर्शन लेंगे। वैसे भी कांग्रेस ने संकेत दिए हैं कि ममता की पार्टी के जाने के बाद अगले चुनाव तक रेल महकमा पार्टी अपने खाते में ही रखना चाहेगी।
गठबंधन सरकारों के दौर में पिछले करीब डेढ़ दशक में यह पहला मौका है जब रेल मंत्रालय सरकार की अगुवाई कर रहे सबसे बड़े दल के पास आया है। अभी तक रेल मंत्रालय छोटे घटक दलों के पास ही रहा था। गौरतलब है कि एनडीए सरकार में पहले ममता बनर्जी और फिर नीतीश कुमार रेलमंत्री बने थे।
यूपीए वन में दो दर्जन से ज्यादा सांसदों की बदौलत राजद प्रमुख लालू प्रसाद रेल मंत्रालय संभालने में कामयाब रहे थे। वहीं यूपीए दो में पहले ममता को रेल मंत्रालय मिला। ममता जब मुख्यमंत्री बनीं तो दिनेश त्रिवेदी को अपना उत्तराधिकारी बनाया। मगर बजट में रेलवे की सेहत सुधारने का त्रिवेदी का कठोर कदम दीदी को रास नहीं आया तो उन्हें चलता कर रॉय को कुर्सी सौंप दी गई।
अब दस जनपथ के करीबी माने जाने वाले राजस्थान के दिग्गज कांग्रेसी सीपी जोशी के लिए तात्कालिक चुनौती रेलवे की बिगड़ती दशा को पटरी पर लाना है। रेलवे की खराब हालत का जोशी को भी बखूबी अंदाजा है इसलिए मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार मिलने के बाद मीडिया से रू-ब-रू हुए जोशी ने बड़े वादे करने से परहेज किया। उनका कहना था कि अभी रेलवे को समझने के लिए उन्हें थोड़ा समय चाहिए और निसंदेह प्रधानमंत्री से इस बारे में वे मार्गदर्शन लेंगे। वैसे भी कांग्रेस ने संकेत दिए हैं कि ममता की पार्टी के जाने के बाद अगले चुनाव तक रेल महकमा पार्टी अपने खाते में ही रखना चाहेगी।