सितंबर से लागू नए रेडिएशन नियम की वजह से मोबाइल टावर कंपनियों
की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सरकारी अनुमान के मुताबिक इसका असर 20,000 से ज्यादा टावर पर पड़ेगा। यानि कंपनियों को टावर हटा कर नई जगहों पर लगाने होंगे या टावर में कुछ बदलाव करने होंगे।
सितंबर से लागू नए रेडिएशन नियम की वजह से मोबाइल कंपनियों को करीब 5,000 करोड़ रुपये की चपत लगेगी। इंड्स्ट्री के मुताबिक करीब 5 फीसदी मोबाइल टावर नए नियमों के मुताबिक बदलने होंगे। देशभर में करीब 4 लाख टावर हैं, जिनमें से 20,000 को नई जगह पर शिफ्ट करना होगा। नए टावर लगाने का खर्च 25 लाख रुपये तक होता है। नए नियमों के मुताबिक मोबाइल टावर के एंटीना घर से कम से कम 35 मीटर की दूरी पर होना जरूरी है। साथ ही टावर से निकलने वाली रेडिएशन की लिमिट घटा कर 10 गुना कम करनी होगी। इसका सबसे ज्यादा असर भारती एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया की ज्वाइंट वेंचर टावर कंपनी इंडस पर पड़ेगा।
जानकारों के मुताबिक मोबाइल टावर से निकलने वाली रेडिएशन से कैंसर हो सकता है। टेलिकॉम विभाग़ को हर महीने मोबाइल टावर रेडिएशन से जुड़ी करीब 100 शिकायतें आती हैं जिसमें ज्यादातर शिकायतें रिहायशी इलाकों से टावर शिफ्ट करने से जुड़ी होती हैं। नए रेडिएशन नियमों में टावर के साथ मोबाइल हैंडसेट से निकलने वाली रेडिएशन की सीमा भी घटा दी गई है।

सितंबर से लागू नए रेडिएशन नियम की वजह से मोबाइल कंपनियों को करीब 5,000 करोड़ रुपये की चपत लगेगी। इंड्स्ट्री के मुताबिक करीब 5 फीसदी मोबाइल टावर नए नियमों के मुताबिक बदलने होंगे। देशभर में करीब 4 लाख टावर हैं, जिनमें से 20,000 को नई जगह पर शिफ्ट करना होगा। नए टावर लगाने का खर्च 25 लाख रुपये तक होता है। नए नियमों के मुताबिक मोबाइल टावर के एंटीना घर से कम से कम 35 मीटर की दूरी पर होना जरूरी है। साथ ही टावर से निकलने वाली रेडिएशन की लिमिट घटा कर 10 गुना कम करनी होगी। इसका सबसे ज्यादा असर भारती एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया की ज्वाइंट वेंचर टावर कंपनी इंडस पर पड़ेगा।
जानकारों के मुताबिक मोबाइल टावर से निकलने वाली रेडिएशन से कैंसर हो सकता है। टेलिकॉम विभाग़ को हर महीने मोबाइल टावर रेडिएशन से जुड़ी करीब 100 शिकायतें आती हैं जिसमें ज्यादातर शिकायतें रिहायशी इलाकों से टावर शिफ्ट करने से जुड़ी होती हैं। नए रेडिएशन नियमों में टावर के साथ मोबाइल हैंडसेट से निकलने वाली रेडिएशन की सीमा भी घटा दी गई है।