देशद्रोह के मामले के बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत
मिलने के बाद कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी आज रिहा हो जाएंगे। आईबीएन7 लगातार कार्टूनिस्ट असीम पर लगे देश द्रोह के मुकदमे के खिलाफ मुहिम चला रहा है और अब चौतरफा दबाव के चलते महाराष्ट्र सरकार असीम के खिलाफ दर्ज देशद्रोह के मामले को भी वापस लेने पर विचार कर रही है।
बॉंम्बे हाईकोर्ट ने देशद्रोह के आरोप में 8 सितंबर को गिरफ्तार किए गए असीम त्रिवेदी को जमानत दे दी है। दरअसल असीम को जमानत के लिए मंगलवार को ही एक जनहित याचिका बॉंबे हाईकोर्ट में दायर की गई थी। ये याचिका असीम के ही संगठन इंडिया अगेंस्ट करप्शन यानि आईएसी के एक वकील संस्कार मराठे ने की थी।

बॉंम्बे हाईकोर्ट ने देशद्रोह के आरोप में 8 सितंबर को गिरफ्तार किए गए असीम त्रिवेदी को जमानत दे दी है। दरअसल असीम को जमानत के लिए मंगलवार को ही एक जनहित याचिका बॉंबे हाईकोर्ट में दायर की गई थी। ये याचिका असीम के ही संगठन इंडिया अगेंस्ट करप्शन यानि आईएसी के एक वकील संस्कार मराठे ने की थी।
सुनवाई के दौरान शाम 5 बजे के करीब याचिका में वकील संस्कार मराठे ने कहा था कि असीम के खिलाफ लगाई गईं देशद्रोह की धारा बिल्कुल गलत है और असीम को जमानत दी जानी चाहिए।
इस पर सरकारी वकील ने जवाब दिया कि इस वक्त राज्य के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री असीम केस पर ही बैठक कर रहे हैं और इसलिए केस की सुनवाई टाल दी जाए।
सरकारी वकील की ये बातें सुनकर संस्कार मराठे ने अदालत से गुहार लगाई कि असीम को अंतरिम जमानत ही दे दी जाए।
सरकारी वकील ने इस पर भी ऐतराज जता दिया।
असीम के केस की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील को अदालत ने ज्यादा वक्त देने से इनकार कर दिया। अदालत ने उन्हें कहा कि सरकार को जो भी जवाब देना है वो शाम 6 बजे तक दे। इस वक्त तक कोर्ट की कार्यवाही खत्म हो चुकी थी। इसलिए शाम 6 बजे बॉंबे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के चेंबर में आगे की कार्रवाही हुई।
सूत्रों की मानें तो चीफ जस्टिस के चेंबर में पुलिस से असीम त्रिवेदी के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर की कॉपी मंगाई गई। सरकारी वकील ने यहां भी असीम को जमानत देने पर ऐतराज जताया लेकिन हाईकोर्ट ने असीम को 5000 रुपए के निजी मुचलके पर जमानत देने का आदेश दे दिया। असीम पर लगी देशद्रोह की धारा पर हाईकोर्ट 14 सितंबर को सुनवाई करेगा।
इस पर सरकारी वकील ने जवाब दिया कि इस वक्त राज्य के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री असीम केस पर ही बैठक कर रहे हैं और इसलिए केस की सुनवाई टाल दी जाए।
सरकारी वकील की ये बातें सुनकर संस्कार मराठे ने अदालत से गुहार लगाई कि असीम को अंतरिम जमानत ही दे दी जाए।
सरकारी वकील ने इस पर भी ऐतराज जता दिया।
असीम के केस की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील को अदालत ने ज्यादा वक्त देने से इनकार कर दिया। अदालत ने उन्हें कहा कि सरकार को जो भी जवाब देना है वो शाम 6 बजे तक दे। इस वक्त तक कोर्ट की कार्यवाही खत्म हो चुकी थी। इसलिए शाम 6 बजे बॉंबे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के चेंबर में आगे की कार्रवाही हुई।
सूत्रों की मानें तो चीफ जस्टिस के चेंबर में पुलिस से असीम त्रिवेदी के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर की कॉपी मंगाई गई। सरकारी वकील ने यहां भी असीम को जमानत देने पर ऐतराज जताया लेकिन हाईकोर्ट ने असीम को 5000 रुपए के निजी मुचलके पर जमानत देने का आदेश दे दिया। असीम पर लगी देशद्रोह की धारा पर हाईकोर्ट 14 सितंबर को सुनवाई करेगा।
वैसे अदालत से जमानत मिलने के बावजूद मंगलवार को असीम जेल से बाहर नहीं आ पाए क्योंकि जब तक अदालत ने आदेश दिया तब तक जेल से रिहाई का वक्त खत्म हो चुका था। इसलिए उम्मीद है कि असीम त्रिवेदी बुधवार सुबह जेल से बाहर आ पाएंगे।
कानपुर के इस कार्टूनिस्ट ने सिर्फ तीन दिन में पूरे देश को अभिव्यक्ति की आजादी जैसे अहम मुद्दे पर मथ कर रख दिया। वर्ना उसके कार्टूनों को लेकर विवाद तो पिछले साल दिसंबर से ही होना शुरू हो गया था। लेकिन महीनों बाद अचानक हरकत में आई मुंबई पुलिस ने सभी को चौंका दिया। 8 सितंबर की रात जैसे ही देशद्रोह का आरोप लगाते हुए पुलिस ने असीम को गिरफ्तार किया पूरे देश में नई बहस छिड़ गई।
सवाल ये उठा कि अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देने वाले हमारे देश में क्या कार्टून बनाना भी गुनाह हो गया है। रविवार को सबसे पहले आईबीएन 7 ने राष्ट्रीय स्तर पर असीम की गिरफ्तारी का मुद्दा उठाया।
ये आईबीएन7 की लगातार मुहिम का ही असर था कि महाराष्ट्र सरकार और पुलिस बैकफुट पर आ गई। पहले तो एक हफ्ते तक रिमांड लेने वाली मुंबई पुलिस ने सिर्फ 24 घंटे में ही जांच पूरी कर ली और इसके बाद असीम की कस्टडी भी सरेंडर कर दी। जब असीम ने जमानत लेने से ही इनकार कर दिया तो सरकार को देशद्रोह की धाराओं पर सोचने के लिए मजबूर होना पड़ा। नतीजा ये कि एक तरफ सरकार असीम पर लगी देशद्रोह की धारा हटाने पर विचार कर रही है वहीं असीम के जेल से बाहर आने का रास्ता भी साफ हो गया है।
कानपुर के इस कार्टूनिस्ट ने सिर्फ तीन दिन में पूरे देश को अभिव्यक्ति की आजादी जैसे अहम मुद्दे पर मथ कर रख दिया। वर्ना उसके कार्टूनों को लेकर विवाद तो पिछले साल दिसंबर से ही होना शुरू हो गया था। लेकिन महीनों बाद अचानक हरकत में आई मुंबई पुलिस ने सभी को चौंका दिया। 8 सितंबर की रात जैसे ही देशद्रोह का आरोप लगाते हुए पुलिस ने असीम को गिरफ्तार किया पूरे देश में नई बहस छिड़ गई।
सवाल ये उठा कि अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देने वाले हमारे देश में क्या कार्टून बनाना भी गुनाह हो गया है। रविवार को सबसे पहले आईबीएन 7 ने राष्ट्रीय स्तर पर असीम की गिरफ्तारी का मुद्दा उठाया।
ये आईबीएन7 की लगातार मुहिम का ही असर था कि महाराष्ट्र सरकार और पुलिस बैकफुट पर आ गई। पहले तो एक हफ्ते तक रिमांड लेने वाली मुंबई पुलिस ने सिर्फ 24 घंटे में ही जांच पूरी कर ली और इसके बाद असीम की कस्टडी भी सरेंडर कर दी। जब असीम ने जमानत लेने से ही इनकार कर दिया तो सरकार को देशद्रोह की धाराओं पर सोचने के लिए मजबूर होना पड़ा। नतीजा ये कि एक तरफ सरकार असीम पर लगी देशद्रोह की धारा हटाने पर विचार कर रही है वहीं असीम के जेल से बाहर आने का रास्ता भी साफ हो गया है।