चुनाव आयोग जहां एक ओर अपनी त्वरित करवाई के लिए मशहूर है वहीँ इसकी शिथिलता का नमूना नवगछिया नगर पंचायत के चुनाव में साफ़ दिखाई दिया है, जो दो माह बाद अब तक बरकरार है। इस मामले में अंतरिम कारवाई नहीं होने को लेकर जहां अन्य प्रत्याशियों में क्षोभ पैदा हो रहा है। वहीँ आम मतदाताओं में हैरानी बढ़ती जा रही है।
यह मामला है दो माह पहले संपन्न हुए नवगछिया नगर पंचायत के चुनाव के दौरान एक वार्ड के चुनाव का। जिसके प्रत्याशी के प्रस्तावक को अवैध ठहराते हुए आयोग ने प्रस्तावक पर प्राथमिकी तक दर्ज करा डाली है। इसके बावजूद प्रत्याशी का वजूद वार्ड पार्षद के रूप में बरकरार है।
जानकारी के अनुसार नवगछिया नगर पंचायत के वार्ड संख्या छह के प्रत्याशी तारा खातून के प्रस्तावक अफाक खान को आयोग की निर्धारित तिथि ४-४-२००८ के बाद ९-१०-२०११ को अनुमंडलीय अस्पताल में छठी संतान पैदा हुई थी। जिसके खिलाफ चुनावी प्रक्रिया प्रारम्भ होते ही २५-०४-२०१२ को लिखित शिकायत दर्ज की गयी थी। इस आवेदन पर कोई करवाई नहीं करते हुए निर्वाची पदाधिकारी ने २-५-२०१२ को चुनाव चिन्ह तक आबंटित कर दिया। पुनः इस मामले की शिकायत ११-५-२०१२ को की गयी। जिसपर त्वरित कारवाई करते हुए निर्वाची पदाधिकारी ने जांच का आदेश अंचल अधिकारी को दिया। जांच में मामला सही पाया गया। जिसकी जांच रिपोर्ट १४-५-२०१२ को जिला को डी दी गयी। इसके बावजूद इस वार्ड नंबर छह में भी १७-५-२०१२ को मतदान कराया गया। सभी वार्डों की तरह इस वार्ड नंबर छह का भी परिणाम १९-५-२०१२ को इसी विवादित प्रस्तावक अफाक खान के प्रत्यासी तारा खातून के पक्ष में घोषित भी कर दिया गया।
आयोग द्वारा प्रतिनियुक्त अधिकारियों की शिथिलता से परेशान निकटतम प्रतिद्वंदी अन्नपूर्णा सिंह ने इसकी लिखित जानकारी २१-५-२०१२ को आयोग को भेजी। वहीँ निर्वाची पदाधिकारी नगर पंचायत नवगछिया ने भी २५-५-२०१२ को जिला एवं आयोग को सूचित किया है कि वार्ड नंबर छह के प्रत्याशी तारा खातून के प्रस्तावक अफाक खान के द्वारा नाम निर्देशन के समय तथ्य को छुपाया गया है। जिसके फलस्वरूप वे प्रस्तावक के रूप में पात्रता धारित नहीं करते हैं। जिसपर आयोग ने त्वरित करवाई करते हुए अधिकारियों को आवश्यक निर्द्देश जारी किये। जिसके उक्त विजयी प्रत्याशी के प्रस्तावक के विरुद्ध ४-६-२०१२ को नवगछिया थाना में प्राथमिकी संख्या १०९/१२ दर्ज करायी गयी। इसके बाद पुनः मामला ठन्डे बसते में दब गया है।
आखिर जिस प्रत्याशी का प्रस्तावक गलत साबित हो गया हो तो वह प्रत्याशी कैसे वैध वार्ड पार्षद रह सकता है। जिसे लेकर आयोग ने अब तक सिर्फ प्रस्तावक पर करवाई की है, प्रत्याशी के खिलाफ नहीं। जिसकी वजह से जहां अन्य प्रत्याशियों में क्षोभ पैदा हो रहा है। वहीँ आम मतदाताओं में हैरानी बढ़ती जा रही है। इसके बावजूद इस वार्ड के अन्य प्रत्याशियों और मतदाताओं को आयोग पर भरोसा है कि आयोग इस विवादित वार्ड नंबर छह के पार्षद के वैधता को लेकर अपना निर्णय जल्द देगा।