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ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या से बिहार की राजनीति में आ सकता है भूचाल

रणवीर सेना प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

'सुशासन बाबू' नीतीश कुमार के दूसरे कार्यकाल में ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या से जातीय राजनीति गरमाने की आशंका है जिसका असर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल युनाईटेड गठबंधन पर भी पड़ सकता है.

पूरे मध्य बिहार में ब्रह्मेश्वर सिंह अगड़ी जातियों के भूमिगत नेता माने जाते रहे. 90 के शुरुआती दशक में उन्होंने खेतिहर जमींदारों के सहयोग से रणवीर सेना का गठन किया था.

रणवीर सेना ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी - लेनिनवादी) यानी भाकपा माले के बढ़ते प्रभाव को कम करने की कोशिश की.

भाकपा माले ने मध्य बिहार के जमींदारों की जमीन गरीबों के बीच बांटने की मुहिम चलाई थी जिसके जवाब में भूमिहार जाति से ताल्लुक रखने वाले ब्रह्मेश्वर सिंह ने रणवीर सेना को खड़ा किया.

इसके बाद कई जनसंहार हुए जिनमें 96 का लक्ष्मणपुर बाथे जनसंहार और फिर बथानी टोला जनसंहार प्रमुख है. इनके पीछे रणवीर सेना का ही हाथ माना जाता रहा.

पर 2002 में गिरफ्तारी के बाद ब्रह्मेश्वर मुखिया पर लगे 17 मुकदमों में 16 में उन्हें निर्देष माना गया और जुलाई,2011 में बथानी टोला जनसंहार मामले में भी उनकी रिहाई हो गई.

उनकी रिहाई कई लोगों को पच नहीं रही थी और भाकपा माले ने इस फैसले का खुला विरोध किया था.

अब उनकी हत्या के बाद सियासी हलचल बढ़ गई है. पिछड़ों-दलितों की राजनीति करने वाली राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता लालू यादव ने ब्रह्मेश्वर मुखिया को समाजसेवा मे लिप्त व्यक्ति बताया और उनकी हत्या की सीबीआई जांच की मांग की है.

भाजपा नेता सीपी ठाकुर ने भी ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या पर अफसोस जताते हुए नीतीश कुमार से जांच कराने की मांग की है.

भजापा को बिहार में अगड़ी जातियों का समर्थन मिलता रहा है और इस हत्याकांड से भाजपा को अपनी रणनीति पर दोबारा विचार करना पड़ सकता है.

भाजपा की मदद से मध्य बिहार में व्यापक समर्थन पाने वाले नीतीश की पार्टी जनता दल युनाईटेड अगर जल्दी कोई ठोस कार्रवाई नहीं करती है तो उससे बड़ा जनाधार खिसक सकता है.