इस साल मक्के की कम कीमत ने किसानों को हलकान कर रखा है। महंगे खाद-बीज खरीद कर मक्के की खेती करने वाले किसानों को रोजाना मक्के के गिरते बाजार भाव ने कर्ज के बोझ तले दबने को विवश कर दिया है। विदित हो कि भागलपुर जिले में नवगछिया, गोपालपुर, रंगरा, खरीक, बिहपुर और नारायणपुर आदि प्रखंडों के अधिकाँश किसानों ने गेहूं की खेती छोड़ कर मक्का की खेती को व्यवसायिक खेती के रूप में अपना लिया है। लेकिन इस वर्ष महंगे खाद-बीज के अपेक्षा मक्के की कीमत भी काफी कम है। पिछले वर्ष जहां मक्का 1,020 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिका था, वहीं इस बार इसकी कीमत 1100 से शुरू हुई जो घटते हुए अब 820 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। साहू परवत्ता के किसान नीरज साहू, राम कुमार साहू, व धोबिनिया के किसान प्रवीण कुमार यादव आदि किसानों ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में खाद-बीज की कीमत इस वर्ष दोगुनी हो गयी है, लेकिन मकई की कीमत पिछले वर्ष की अपेक्षा प्रति क्विंटल दो सौ रुपये कम हो गयी है। जिस कारण उन्हें लागत निकल पाने की भी चिंता हो रही है।
वहीँ व्यापारी एवं अधिकारी वर्ग के लोगों का कहना है की इस साल मक्का की फसल में पैदावार काफी अच्छी हुई है। इसलिए घाटा लगाने की बात गलत है। हां जो भाव सोचे थे , वो बाजार भाव रहने पर मुनाफ़ा और अच्छा होता। लेकिन इस समय रेट में कोई कटौती नहीं हो रही है। चूँकि माल सुखा हुआ आ रहा है।