यह शांतिगीत अतिशय पुनीत, पापों को मिटाने वाला है- स्वामी अगमानंद
शाहकुंड (भागलपुर)। जिले के शाहकुंड प्रखंड के सरौनी पंचायत के बगचप्पर गांव पिछले तीन दिनों से आध्यात्म की नगरी बन गई है। सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सह महाविष्णु यज्ञ तीसरे दिन कई जिलों से श्रद्धालु पहुंचे। श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर और श्री उत्तरतोताद्रि मठ विभीषणकुंड अयोध्या के उत्तराधिकारी श्री रामाचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज यहां भागवत कथा कह रहे हैं। स्वामी आगमानंद जी से आशीर्वाद लेने के लिए लोगों की भीड़ लग गई। भागलपुर, बांका, खगड़िया, सहरसा, मधेपुरा व नवगछिया से काफी श्रद्धालु यहां पहुंचे हैं। सुबह विद्वान पंडितों के वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ शुरू होता है। लोगों ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा की।
स्वामी आगमानंद जी महाराज कथा का प्रारंभ भागवत भगवान की आरती से की। उन्होंने कहा कि भागवत भगवान की जीवनी है। इस कथा में नाम की महिमा का वर्णण किया गया है। भगवान के प्रति समर्पण आपको मोक्ष दिलाएगा। कलियुग में कथा श्रवण और नाम जप ही ईश्वर प्राप्ति का माध्यम है। उन्होंने भगवान के विभिन्न अवतारों की चर्चा की। उन्होंने आरती के माध्यम से कहा कि - यह शांतिगीत अतिशय पुनीत, पापों को मिटाने वाला है। हरिदरश करवाने वाला है। यह सुख करनी यह दुख हरणि, श्री मधुसूदन की आरती, पापियों से पाप से तारती। स्वामी आगमानंद के भजनों से लोग खूब थिरकने लगे। कहा कि आदत बुरी सुधार लो, बस हो गया भजन। उन्होंने कहा कि हर्ष-शोक, उत्थान-पतन, सुख-दुख, मान-आपमान यह तो संसार की रीति है। सबमें जो सामंजस्य बना लेता है, उसी का जीवन सार्थक हो जाता है और वे ईश्वर के प्रिय हो जाते हैं। उन्होंने कहा दुख में कभी भी ना घबराओ और सुख में कभी भी ना इतराओ।