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बिहार में बढ़ रहा है सौर ऊर्जा उत्पादित बिजली का बाजार


बिहार में बिजली की किल्लत के कारण विकल्प के तौर पर आगे आ रही सौर ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों के लिए यह कारोबार बढ़कर सालाना करीब 35 से 40 करोड़ रुपये का हो गया है। सौर ऊर्जा कंपनियों का मानना है कि वर्तमान में बिहार में छोटे बड़े सौर ऊर्जा उपकरणों का बाजार 35 से 40 करोड़ रुपये का है और राज्य सरकार इसे बढ़ावा दे तो काफी विकास हो सकता है।

इन कंपनियों के लिए बिहार अभी व्यावसायिक दृष्टिकोण से प्राथमिकता सूची में हैं, क्योंकि शेष भारत में होने वाली सौर उपकरणों की बिक्री के बराबर बिहार, झारखंड और उड़ीसा में उपकरणों की बिक्री होती है। राज्य के बिजली मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव कहते हैं कि सौर ऊर्जा के लिए जो 'मैपिंग' कराई गई है उसके अनुसार राज्य में सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। राज्य सरकार ने सौर ऊर्जा प्रोत्साहन नीति के तहत कई प्रकार की प्रोत्साहन की घोषणा की है। अनुपयोगी जमीन (वेस्टलैंड) पर बिजली सौर ऊर्जा उत्पादन संयंत्र स्थापित करने के लिए सरकार ने पंजीकरण और प्रवेश कर को माफ कर दिया है।
यादव ने बताया कि सौर ऊर्जा से 250 मेगावाट की बिजली उत्पादन की विभिन्न परियोजना का प्रस्ताव कैबिनेट को भेजा गया है जिसे जल्द मंजूरी मिलेगी। सौर उर्जा से विद्युत उत्पादन की दिशा 'मैपिंग' करने वाले संस्थान 'वर्ल्ड इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनेबल एनर्जी' (वाइज) के अनुसार बिहार भारत के 'मॉडरेट सोलर रेडिएशन जोन' में आता है। साल भर में 280 दिन चमकीला दिन रहता है। वाइज के अनुसार, छोटे बड़े उपकरणों के अलावा बिजली उत्पादन की यहां अपार संभावनाएं हैं।