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आउटसोर्सिंग पर भारत की चिंता कायम

भारतीय उद्योग जगत ने बराक ओबामा के दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति चुने जाने का स्वागत किया और कहा कि इससे द्विपक्षीय संबंध अच्छे बने रहेंगे. हालांकि कुछ उद्योगपतियों ने आउटसोर्सिंग मामले पर चिंता जाहिर की.
गोदरेज समूह के अध्यक्ष आदि गोदरेज ने भारत संबंधी विश्व आर्थिक मंच की बैठक के मौके पर संवाददाताओं से कहा, ‘यह भारत के लिए अच्छी खबर है.
दो बड़ी अर्थव्यवस्थओं के बीच
समस्या और चिंता रहेगी. आउटसोर्सिंग भी एक समस्या है और मुझे उम्मीद है कि इसका समाधान जल्दी होगा.’ इसी तरह का विचार व्यक्त करते हुए भारती समूह के अध्यक्ष सुनील भारती मित्तल ने कहा, ‘यह उम्मीद के अनुरूप है. मुझे लगता है कि यह भारत के लिए अच्छा होगा, निरंतरता रहेगी.’
आउटसोर्सिंग से जुड़ी आशंका के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘मैंने पिछले चुनाव में इसकी चर्चा सुनी थी. हमने देखा कि क्लिंटन आउटसोर्सिंग के बेहद खिलाफ थे लेकिन हमारे आउटसोर्सिंग कारोबार या संबंध में कोई असर नहीं हुआ.’ ओबामा रिपब्लिकन उम्मीदवार मिट रोमनी से मिली कड़ी चुनौती के बाद दूसरी बार सत्ता में आए हैं.
चुनाव प्रचार के दौरान ओबामा ने भारत जैसे देशों को आउटसोर्सिंग का काम दिए जाने की यह कहते हुए आलोचना की थी कि अमेरिका में स्थानीय तौर पर रोजगार के अवसर पैदा करने की जरूरत है.
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को 80 फीसद आय अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों से होती है.
हालांकि एनआईआईटी के अध्यक्ष राजेंद्र एस पवार ने कहा, ‘यह अमेरिकी और भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए अच्छा है.’ बीपीओ उद्योग की जानी मानी हस्ती और जेनपैक्ट के पूर्व मुख्य कार्यकारी प्रमोद भसीन ने हालांकि कहा, ‘मुझे लगता है कि इसका ज्यादा असर होगा क्योंकि ओबामा बेरोजगारी जैसे मुद्दे पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.’