
तब से अब तक रेल पुलिस पर उच्चाधिकारिओं के विशेष दबाव पड़ रहे हैं । जिसके कारण नवगछिया सहित कटिहार से लेकर बरौनी और पटना तक के रेल पुलिस कर्मियों के पांव भारी हो गए हैं। जिनके हाथ अब तक कोई ठोस सुराग नहीं लगा है और न ही किसी सामान की बरामदगी हो सकी है। जबकि खगड़िया के बनदेहरा निवासी रामकृष्ण की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को लगने लगा था कि उसने मामला सुलझा लिया है, पर रविवार शाम तक मामला टांय टांय फिस्स ही लगा । जिसे पाकेटमारी के आरोप में जेल भेज दिया गया। इसके बाद से रेल पुलिस के हाथ फिर से खाली हो गए। बहुचर्चित हत्याकांड के तह तक जाने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट फेस बुक पर भी अभियान चलाने की बात कही जा रही है।