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सुशासन की पुलिस पर उबले प्रीतम के परिजन



हमारे प्रीतम की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। वह दूसरे स्टेट (असम) का लड़का था। अगर बदमाश पैसा मांगते तो हम दे देते, लेकिन बेहरम ने उसका कत्ल कर दिया। बिहार में किसी की जान की कोई कीमत नहीं है। पुलिस बेकाम हो चुकी है। पुलिस अगर दुरुस्त रहती तो उसकी लाश नहीं मिलती। यह कहते हुए फफक पड़ते हैं प्रीतम के परिजन।
रविवार को शव के साथ पोस्टमार्टम हाउस (भागलपुर मेडिकल कॉलेज) पहुंचे प्रीतम के चाचा बैंक अधिकारी राममोहन भट्टाचार्य ने कहा कि अब मैं किस मुंह से घर जाऊंगा? वहां जाकर क्या कहूंगा? प्रीतम को बिहार में काट दिया गया। देखिए, किस तरह हत्या की गई है। जानवर की तरह गले को धड़ से अलग कर दिया। चचेरे भाई पुष्कर भट्टाचार्य, मामा विभू, फूफा केके पुरकायस्थ का कहना था कि कमजोर पुलिस के भरोसे बिहार में सुशासन स्थापित नहीं किया जा सकता। नवगछिया जैसे छोटे इलाके में जब पुलिस प्रीतम को बरामद नहीं कर सकी तो बड़ी जगहों में क्या करेगी। छह दिनों तक पुलिस के अधिकारी सिर्फ भरोसा दिला रहे थे वह सकुशल लौटेगा। रोज बैठकें हो रही थी। आईजी, एसपी सभी बैठकों में मशगूल थे। नतीजे के रुप में प्रीतम का शव मिला। नवगछिया स्टेशन पर लगातार लोगों का गला काटा जा रहा है। पुलिस मुकदर्शक बनी रहती है।
चाचा राममोहन भट्टाचार्य ने कहा कि अगर गलत तरीके से कोई ट्रेन में सीट पर बैठ जाए और कोई इसका विरोध करे तो उसे अगवा कर लिया जाएगा। उसका गला काटा डाला जाएगा। क्या यही बिहार है। परिजनों का कहना है कि बिहार में विधि- व्यवस्था की हालत अच्छी नहीं है। यही कोई आदमी महफूज नहीं है।