सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैये के बावजूद बाजारों में प्लास्टिक पाउच गुटखे की बिक्री पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। कालाबाजारी के जरिए एक रुपए में मिलने वाला गुटखा तीन रुपए में बिक रहा है। अधिक कीमत के बावजूद गुटखे की बिक्री की रफ्तार में कोई कमी नहीं आई है। जहां एक ओर गुटखे की कालाबाजारी खुलेआम हो रही है, वहीं
नेपाली गुटखा भी तस्करी के रास्ते जिले में अपना पांव पसार रही है। जिस पर फिलहाल किसी की नजर नहीं है। प्रशासन की ओर से भी अभी तक किसी प्रकार की कार्रवाई की कोई सूचना नहीं है। भारत-नेपाल सीमा से सटे क्षेत्रों की महिलाएं गुटखे की तस्करी के धंधे में लगी हैं। जिनके माध्यम से जिले के बाजारों में नेपाली गुटखा पांव फैला रहा है। नेपाली गुटखा किशनगंज, पूर्णियां, कटिहार, भागलपुर व खगडि़या के रास्ते बेगूसराय तक पहुंच चुका है। नेपाली गुटखों को खुदरा बेचने वाले वही पुराने दुकानदार हैं, जिन्हें नेपाली गुटखा बेचने में आमदनी भी ज्यादा हो रही है। यह अलग बात है कि कानपुर आदि क्षेत्रों में गुटखा का उत्पादन शुरू हो चुका है। लेकिन उसकी पैकिंग प्लास्टिक की जगह कागज के पाउच में हो रही है। जबकि नेपाल से आने वाले गुटखे प्लास्टिक पाउच में ही बिक रहे हैं। ये विदेशी गुटखे देशी से सस्ते पड़ते हैं।
नेपाली गुटखा भी तस्करी के रास्ते जिले में अपना पांव पसार रही है। जिस पर फिलहाल किसी की नजर नहीं है। प्रशासन की ओर से भी अभी तक किसी प्रकार की कार्रवाई की कोई सूचना नहीं है। भारत-नेपाल सीमा से सटे क्षेत्रों की महिलाएं गुटखे की तस्करी के धंधे में लगी हैं। जिनके माध्यम से जिले के बाजारों में नेपाली गुटखा पांव फैला रहा है। नेपाली गुटखा किशनगंज, पूर्णियां, कटिहार, भागलपुर व खगडि़या के रास्ते बेगूसराय तक पहुंच चुका है। नेपाली गुटखों को खुदरा बेचने वाले वही पुराने दुकानदार हैं, जिन्हें नेपाली गुटखा बेचने में आमदनी भी ज्यादा हो रही है। यह अलग बात है कि कानपुर आदि क्षेत्रों में गुटखा का उत्पादन शुरू हो चुका है। लेकिन उसकी पैकिंग प्लास्टिक की जगह कागज के पाउच में हो रही है। जबकि नेपाल से आने वाले गुटखे प्लास्टिक पाउच में ही बिक रहे हैं। ये विदेशी गुटखे देशी से सस्ते पड़ते हैं।