बागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र शास्त्री की कथा 17 मई तक पटना में चलती रहेगी, कथा में उमड़ रही भारी भीड़
नव-बिहार समाचार, न्यूज डेस्क, बिहार। बहुचर्चित बागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पटना में आयोजित हनुमान कथा में भारी भीड़ उमड़ रही है। यह कथा कार्यक्रम 13 मई से चालू हुआ है, जो 17 मई तक चलेगा। दूसरे दिन की कथा में कुछ लोगों की गर्मी से तबीयत बिगड़ गई। कल होने वाला बाबा का दिव्य दरबार कैंसिल हो सकता है। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि कल दिव्य दरबार है, लेकिन भीड़ देखते हुए विराम देना पड़ेगा। भीड़ और गर्मी ज्यादा है। कोई अनहोनी न हो जाए। अगली बार जब आएंगे तो दिव्य दरबार लगाएंगे। कथा सबके कल्याण के लिए है। कल प्रेस कॉन्फेंस करेंगे। हालांकि कथा 17 मई तक चलती रहेगी।
उन्होंने कहा कि 10 किलोमीटर में लोग फंसे हैं, इसलिए कल किसी को मत लेकर आइएगा। टीवी पर ही कथा सुनिए। जो ट्रेन का टिकट कल के लिए कटा लिया है, वे कैंसिल करा दें। यहां जगह नहीं बची है। पटना से लगे नौबतपुर के तरेत पाली गांव में चली रही कथा को धीरेंद्र शास्त्री ने कथा 15 मिनट पहले ही समाप्त कर दिया। कथा सात बजे तक चलनी थी। उन्होंने मंच से कहा कि दस लाख भक्त कथा सुनने आए हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को सांस लेने की समस्या हो रही है।
कथा में आए श्रद्धालुओं के लिए बनाया गया बड़ा पंडाल को तीन पार्ट में बांटा गया है। एक साथ लगभग दो लाख लोग इसमें बैठ सकते हैं। पहले दिन ढाई लाख भक्त पहुंचे थे। दूसरे दिन यह संख्या चार लाख से ज्यादा पहुंच गई। लोग रात को ही पंडाल में सो जा रहे हैं। भीड़ इतनी है कि अंदर जाने के लिए लोगों ने पुलिसकर्मियों से धक्कामुक्की की। नौबतपुर पहुंचने के लिए तीन रास्ते हैं। सभी रास्तों पर 3 से 5 किलोमीटर लंबा जाम लग गया है। खुद बाबा डेढ़ घंटे पटना से कथा स्थल पर पहुंच पाए, जबकि दूरी 13 किलोमीटर है। कल दिव्य दरबार है, इसलिए भक्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है। दूसरे दिन की कथा के शुरुआत में बाबा धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि कइसन बा, दो कि ही गर्मी है, पैसे की गर्मी और मौसम की गर्मी। मौसम की गर्मी तो ठीक हो जाएगी। भारत के दो ही गौरव हैं, एक वृंदावन के बांकेबिहारी और दूसरा यहां के बिहारी।
दिव्य दरबार में किसकी पर्ची निकलेगी
आयोजकों के मुताबिक हनुमंत कथा के तीसरे दिन 15 मई को दोपहर 12 से 3 बजे धीरेंद्र शास्त्री का दिव्य दरबार लगेगा। दिव्य दरबार में बागेश्वर बाबा भीड़ में से किसी को भी बुला कर उसके बारे में बताएंगे। इस दरबार में अर्जी देने के लिए किसी तरह के रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं है। कोई भी व्यक्ति निःशुल्क इस दरबार में शामिल हो सकता है। बाबा जिसे चाहेंगे भीड़ में से उठाकर उसे अपने पास बुला लेंगे। फिर पर्चा पढ़कर उसके निजी जीवन के बारे में बताएंगे। यानी कि ये फिक्स नहीं है कि दिव्य दरबार में किसके नाम का पर्चा निकलेगा। भक्त इसे चमत्कार मानते हैं तो कोई इसे कला कहता है।
पहले दिन की कथा की खास बातें
कथा के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि बिहार के लोग धन्य हैं, जहां मां जानकी ने जन्म लिया। उन्होंने कहा कि इसी धरती पर आर्यभट्ट ने शून्य का अविष्कार किया था। बागेश्वर बाबा ने बिहार के लोगों के भी जयकारे लगवाए।
जीवन तो रेल है, कभी पैसेंजर कभी मेल है…. कथा के दौरान जीवन तो भैया एक रेल है, कभी पैसेंजर कभी मेल है… भजन जब बाबा गाने लगे तो पंडाल में बैठे श्रद्धालु मगन होकर नाचने लगे।
श्री हनुमंत कथा सुनने नौबतपुर के तरेत पाली स्थान में शनिवार को कथा के पहले दिन इतने लोग जुटे कि तीन लाख वर्ग फीट में बना पंडाल छोटा पड़ गया। नजारा यह रहा कि जितने लोग पंडाल के अंदर उससे अधिक लोग बाहर थे। भीड़ ऐसी कि आम और खास का फर्क मिट गया।
भक्तों के ताली नहीं बजाने पर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा जो भगवान की कीर्तन में ताली नहीं बजाता, उसकी जेब हमेशा खाली रहती है। कौन-कौन बाला जी का प्यारा है? भाई तुम लोग तो बड़े कंजूस हो, दोनों हाथ उठाकर ताली बजाओ… बिहारी तो बड़े दिलवाले होते हैं। फिर कंजूसी क्यों कर रहे हो भाई।
कथा का विरोध करने वालों की भी जय….
आगे उन्होंने कहा तरेत पाली मठ की जय, महंत जी की जय, गुरु महाराज की जय, बागेश्वर धाम की जय, सन्यासी बाबा जी… बिहार के पागलों (भक्ति में डूबे लोग ) की जय। कथा का विरोध करने वालों की भी जय…. कुछ खड़े हैं, तो कुछ टेंट पर चढ़े हैं, कुछ अंदर आने के लिए लड़े हैं। ऐसे हैं बिहार के पागल, धन्य है। यह बिहार.. ऐसा लग रहा है जैसे बिहार में हनुमान के नाम की बहार आ गई है।