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काफी चर्चा में है नई फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी', जिसने 13 दिन में कमाया 100 करोड़

काफी चर्चा में है नई फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी', जिसने 13 दिन में कमाया 100 करोड़
आलिया भट्ट की फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी (Gangubai kathiawadi) बॉक्स ऑफिस पर धीरे धीरे ही सही लेकिन 100 करोड़ क्लब तक पहुंच गई है। फिल्म 25 फरवरी को रिलीज हुई और करीब 2 हफ्ते बाद यह 100 करोड़ क्लब तक पहुंच पाई। ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श के ट्वीट के मुताबिक, गंगूबाई काठियावाड़ी ने बुधवार यानी 9 मार्च को सेंचुरी बना ली है। पोस्ट पैनडेमिक (कोरोना के कहर के बाद) 100 करोड़ का कलेक्शन करने वाली ये चौथी फिल्म है। इससे पहले सूर्यवंशी, पुष्पा हिंदी, 83 के नाम ये रिकॉर्ड है। तरण आदर्श ने अपने ट्वीट में बताया कि दूसरे हफ्ते गंगूबाई काठियावाड़ी ने शुक्रवार को 5.01 करोड़, शनिवार को 8.20 करोड़, रविवार को 10.08 करोड़, सोमवार को 3.41 करोड़, मंगलवार को 4.01 करोड़ का कलेक्शन किया। इसी के साथ फिल्म की कुल कमाई मंगलवार तक 99.64 करोड़ हो गई थी। फिल्म को क्रिटिक्स की तारीफ मिलने के साथ ही माउथ पब्लिसिटी का भी फायदा मिला है। हालांकि, अब इस शुक्रवार को आलिया की गंगूबाई काठियावाड़ी को दो बड़ी फिल्मों द कश्मीर फाइल्स और प्रभास की राधे श्याम से कड़ा मुकाबला करना होगा। ये दोनों फिल्में 11 मार्च को रिलीज हो रही हैं। बता दें कि गंगूबाई काठियावाड़ी का बजट करीब 160 करोड़ रुपए है, लेकिन फिल्म रिलीज के 13 दिन बाद तक महज 100 करोड़ रुपए ही कमा पाई है। बता दें कि इस फिल्म में बॉलीवुड स्टार आलिया भट्ट के साथ-साथ अजय देवगन भी लीड रोल में नजर आ रहे हैं।
ये है इस फ़िल्म की कहानी का आधार

गंगूबाई काठियावाड़ी एक किताब 'माफिया क्वीन इन मुंबई' की बेस स्टोरी है, जिसे 'एस हुसैन' ने लिखा है और इसी किताब में बताया गया है गंगूबाई काठियावाड़ी के बारे में। 

जिसमें लाल बिंदी लगाने वाली गंगा के जीवन पर आधारित कहानी बतायी गयी है। जिसने प्यार में धोखा खाया। इसके बाद अपनी किस्मत से समझौता किया। फिर अपना दब-दबा कायम किया और रेड लाईट एरिया में काम करने वाली महिलाओ और युवतियों के हक़ के लिए लड़ी तो फिर सभी के दिल में एक छवि बन कर बस गयी। 
ये है इस फ़िल्म की कहानी

एक 16 साल की लड़की जो मुंबई के रेड लाईट एरिया में आयी और एक डॉन के घर बेख़ौफ़ होकर घुसी और उसे राखी बांध आयी। गंगू रेड लाईट एरिया में काम करने वाली महिलाओं के अधिकारों के लिए प्रधानमंत्री तक पहुँच गई। ये कहानी उस गंगूबाई की है जिसकी तस्वीर कमाठीपुरा की हर औरत और युवतियां (जो रेड लाईट एरिया में काम करती थी) अपने पास रखा करती थी। 

16 साल की 'गंगा हरजीवन दास' काठियावाड़ी एक गुजरात के 'काठियावाड़' की एक लड़की थी। परिवार वाले बड़े इज़्ज़त पसंद लोग थे और गंगा को पढ़ना लिखाना चाहते थे लेकिन गंगा क मन में बॉलीवुड राज करता था और वो हीरोइन बनना और बॉम्बे जाना चाहती थी। 
एक दिन उनके पिता के पास एक लड़का काम करने आया, रमणीक जो पहले से मुंबई में कुछ समय से था, जब ये बात गंगा को पता चली तो वह ख़ुशी से नाचने लगी, अब गंगा को रमणीक के जरिये बॉम्बे जाने का एक सुनेहरा मौका मिल गया था। गंगा ने रमणीक से दोस्ती की और दोस्ती कुछ समय बाद प्यार में बदल गयी। इसके बाद गंगा और रमणीक ने भाग कर शादी कर ली। इन्होने मंदिर में शादी किया इसके बाद गंगा अपना कुछ सामान और माँ के गहने उठा कर रमणीक के साथ चली गयी। 
ये दोनों मुंबई पहुंचे, कुछ दिन साथ में गुजारने के बाद रमणीक ने गंगा से कहा, जब तक मैं हमारे रहने की जगह नहीं ढूंढ लेता, तुम मेरी मौसी के पास रुको। गंगा रमणीक की बात मान कर मौसी के साथ टैक्सी में बैठ कर चली गयी, लेकिन गंगा ये नहीं जानती थी की उसके पति ने गंगा को 1000 रुपये में बेंच दिया है। 
मौसी गंगा को कमाठीपुरा ले कर पहुंचती है, जो बॉम्बे का मशहूर 'रेड लाईट' एरिया था। गंगा को जब ये सब पता चला तो गंगा, बहुत चीखी-चिलायी रोई लेकिन आखरी में गंगा ने समझौता कर लिया क्योंकि उसे ये पता था के अब वह काठियावाड़ वापस नहीं जा सकती क्योंकि अब उसे, उसके घर वाले नहीं अपनाएंगे बेज्जती के डर से, गंगा ने विरोध छोड़ दिया और वहीँ वैश्यालय में रहना शुरू कर दिया। 
गंगा हरजीवन दास काठियावाड़ी अब गंगू बन चुकी थी और गंगू के चर्चे दूर-दूर तक होने लगे, लोग जब भी कमाठीपुरा आतें तो गंगू को जरूर पूछते थे। 
एक दिन शौकत खान नाम का पठान कमाठीपुरा में आया , आने के बाद वह सीधे गंगू पास गया और उसे बेरहमी से नोचा घसीटा और बिना पैसे दिए चला गया और ऐसा दूसरी बार भी हुआ। जिस-जिस ने गंगू को बचाने की कोशिश की पठान ने उसे बड़ी बेरहमी से ढ़केल के घायल कर दिया। इस बार गंगू की इतनी बुरी हालत हुई की उसे अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। 
इसके बाद गंगू ने अपने मन में ठान लिया के वो इस आदमी को सजा देगी। जानकारी जुटाने के बाद पता चला के उस आदमी का नाम शौकत खान है और वह मशहूर डॉन रहीम लाला के लिए काम करता है। उसके बाद गंगू रहीम लालके घर के पास पहुंच गयी और उससे अपनी सारी हालत कह दी। करीम ने उसे सुरक्षा का पूरा दिलासा दिया, जिसके बाद गंगू ने एक धागा, राखी के रूप में करीम की कलाई पर बांध दिया और डॉन को अपना राखी भाई बना लिया। 
3 हफ्ते के बाद वह पठान वहां फिर आया लेकिन इस बार खबरी रहीम लाला को अपने साथ ले आया, जिसके बाद रहीम ने शौकत को इतना मारा के, वो अधमरा हो गया और करीम ने सबको चेतवानी दी की गंगू मेरी राखी बहन है अगर इसे किसी ने भी हाथ लगाया तो उसे छोडूंगा नहीं। 
इसके बाद कमाठीपुरा में गंगू की धाक जम गयी और वह जिस घर में रहती थी वहां घर वाली का चुनाव हुआ (ये घर वाली वो रहती थी जो 40-50 कमरे को मैनेज किया करती थी और उनके ऊपर होती थी, बड़े घरवाली जो की सारी बिल्डिंग को देखा करती थी) गंगू ने पहले घरवाली पद को हासिल किया और बाद में वह बड़े घरवाली को, आस-पास के इलाकों में गंगू का दब-दबा हो गया और अब गंगू, गंगू कोठेवाली से गंगूबाई काठियावाड़ी के नाम से मशहूर हो गयी थी। गंगू कभी, किसी भी लड़की को बिना उनकी मर्जी के वैश्यालय में नहीं रखती थी, जो छोड़ के जाना चाहते थी वह उन्हें जाने देती थी। 
वह वेश्यावृति में धकेली गई लड़कियों के हक के लिए लड़ाई लड़ती, उनके समान अधिकारों की वकालत करतीं। देश में वेश्यावृति को वैध बनाने के मुद्दे को लेकर गंगूबाई ने उस समय के प्रधानमंत्री तक से मुलाकात कर ली थी। गंगा से गंगूबाई बनने तक का सफर उन्होंने किन रास्तों से होकर तय किया.. इसी के इर्द गिर्द घूमती है पूरी फिल्म।

फ़िल्म बनने के बाद की कहानी

गंगूबाई के गोद लिए बेटे बाबू रावजी शाह ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ के खिलाफ साल 2021 में मुंबई की एक कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इस याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट में संजय लीला भंसाली और आलिया भट्ट को हाजिर होने के लिए कहा गया था. हालांकि बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने फिल्म को रिलीज करने की अनुमति दे दी थी.

अब, गंगूबाई के बेटे बाबू रावजी शाह ने आज तक को दिए इंटरव्यू में कहा, “मेरी मां को वेश्या बना दिया गया है. अब लोग बिना वजह मेरी मां के बारे में बातें कर रहे हैं.” वहीं, गंगूबाई की नातिन भारती का कहना है कि मेकर्स पैसे के लिए उनकी फैमिली को बदनाम कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि फिल्म के लिए परिवार की सहमति नहीं ली गई. यही नहीं ‘माफिया क्वींस ऑफ मुंबई’ किताब लिखने के लिए भी उनसे परमिशन नहीं ली गई थी।

गंगूबाई के परिवार के वकील नरेंद्र ने कहा एक गंगूबाई को जिस तरह दिखाया गया है वह गलत और आधारहीन है, यह अश्लील है। एक सामाजिक कार्यकर्ता को वैश्या की तरह दिखाया है, किस परिवार को यह अच्छा लगेगा आपने उन्हें लेडी डॉन बना दिया।

फिल्म की वजह से घर बदल रहे हैं गंगूबाई के परिवार

नरेंद्र ने आगे कहा, “परिवारवालों को जब पता चला कि गंगूबाई के जीवन पर फिल्म बनी है तब से वे लोगों से छिपते फिर रहे हैं. वे अपना घर बदल रहे हैं. फिल्म में गंगूबाई को जिस तरह से दिखाया गया है उसके बाद कई रिश्तेदार सवाल पूछ रहे हैं कि क्या गंगूबाई वाकई एक वेश्या थीं? क्या वह सोशल वर्कर नहीं थीं?”