शिक्षक दिवस पर तिमाविवि की कुलपति प्रो नीलिमा गुप्ता ने दिया ये महत्वपूर्ण संदेश, किया सम्मानित भी
मैं पहले शिक्षक हूँ, फिर कुलपति
शिक्षण कार्य दुनिया का सबसे बड़ा पेशा
शिक्षक दिवस पर सम्मानित किए गए टीएमबीयू के कई रिटायर्ड टीचर्स
राजेश कानोडिया, भागलपुर, 5 सितम्बर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के सीनेट हॉल में शिक्षक दिवस के मौके पर रविवार को एक समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में करीब एक दर्जन रिटायर्ड शिक्षकों को कुलपति ने अंग वस्त्र, प्रशस्ति पत्र, उपहार और पौधा भेंट कर सम्मानित भी किया। टीएमबीयू में आयोजित शिक्षक दिवस समारोह का उदघाटन कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने दीप प्रज्वलित कर किया। मौके पर केन्द्रीय विश्वविद्यालय झारखण्ड रांची के पूर्व कुलपति प्रो. एनके यादव इंदू, टीएमबीयू के पूर्व प्रभारी कुलपति प्रो. क्षमेंद्र कुमार सिंह, प्रताप यूनिवर्सिटी जयपुर के पूर्व कुलपति प्रो. उग्रामोहन झा को भी टीएमबीयू की ओर से शिक्षक दिवस पर सम्मानित किया गया।
शिक्षक दिवस समारोह को संबोधित करते हुए तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि मैं भी खुद पहले एक शिक्षक हूँ, फिर कुलपति। शिक्षक का पेशा दुनिया का सर्वोच्च पेशा है। शिक्षक कहलाना ही अपने आप में एक बड़ी बात होती है। हम आज आह्लादित और गौरवान्वित हैं। आज सभागार में शिक्षकमय वातावरण बन गया है। मौके पर उन्होंने शिक्षण कार्य से सम्बंधित अपने अनुभव भी साझा किए। कुलपति ने कहा कि जो तनख्वाह हमें मिलती है, वह दौलत नहीं है। अपितु एक शिक्षक के लिए दौलत उनके द्वारा पढ़ाये गए छात्र ही होते हैं। छात्र ही शिक्षक की दौलत होते हैं। छात्र को आगे बढ़ाना और उन्हें शीर्ष पर पहुंचाना ही एक शिक्षक का परम ध्येय होना चाहिए।
वीसी ने कहा कि टीएमबीयू के कई शिक्षक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहरा रहे हैं। इससे टीएमबीयू का मान, सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ी है। यहां के कई शिक्षक राज्य और केंद्रीय विश्वविद्यालय में कुलपति पद को भी सुशोभित कर चुके हैं और वर्तमान में कर भी रहे हैं। उन्होंने कहा कि टीचिंग ही अन्य प्रोफेशनों को भी जन्म देता है। एक अच्छा शिक्षक वही है जो लर्नर और लर्निंग के बीच में सामंजस्य बैठाता है। जो खुद ज्ञान पाता भी है और ज्ञान बांटता भी है। शिक्षक ही एक सभ्य नागरिक समाज का निर्माण करते हैं। दरअसल शिक्षक समाज के दर्पण होते हैं। शिक्षा से ही समाज की तरक्की हो सकती है।
कुलपति ने कहा कि शिक्षक में सब कुछ सीखने की क्षमता और तत्परता रहती है। उनमें सीखने की ललक रहती है। हमें अपने स्टूडेंट्स के साथ इंटरेक्शन बनाकर रखना चाहिए। स्टूडेंट्स और टीचर्स के बीच के गैप को हटाना होगा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का लक्ष्य भी छात्रों के समग्र विकास को बढ़ावा देना है। उन्होंने चरित्र निर्माण पर बल देते हुए कहा कि भारत इसी के लिए जाना जाता रहा है। हमें भारतीय संस्कृति और सभ्यता को जीवंत और अक्षुण्ण बनाए रखना है।
कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि टीचर्स की क्वालिटी के साथ समझौता नहीं किया जाएगा। शिक्षा में गुणवत्ता की बात तभी साकार हो सकती है जब हम अपने शिक्षकों में गुणवत्ता लाएँगे, उन्हें स्किल्ड बनाएंगे। कोविड के दौरान ऑनलाइन टीचिंग भी एक महत्वपूर्ण आयाम साबित हुआ है। कुलपति ने कहा कि गेस्ट टीचर के साथ विश्वविद्यालय है। वे पूरे मनोयोग से बच्चों को पढ़ाएं। कुलपति ने कहा कि सभी रिटायर्ड शिक्षक इस विश्वविद्यालय के महत्वपूर्ण अंग हैं। वस्तुतः शिक्षक कभी रिटायर नहीं होते हैं। सभी सेवानिवृत्त शिक्षक विश्वविद्यालय से जुड़े रहें। अपने अनुभव का लाभ यहां के शिक्षकों और छात्रों को दें। रिटायर्ड शिक्षक भविष्य में भी विश्वविद्यालय से जुड़े रहें। ये उनका ही विश्वविद्यालय है।
कलम हमें तहजीब और अदब करना सिखाती है : कुलपति
कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा की पेन (कलम) हमें तहजीब और अदब करना सिखाती है। क्योंकि वह जब भी चलती है तो सर झुका कर चलती है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को भेंट किया गया पौधा जिंदादिली का उदाहरण है। जबकि घड़ी समय के साथ चलना सीखाता है। शिक्षक दिवस समारोह को संबोधित करते हुए टीएमबीयू के प्रतिकुलपति प्रो. रमेश कुमार ने कहा कि शिक्षक का स्थान सर्वोपरि है। शिक्षक की जगह कोई नहीं ले सकता है। बच्चों का पहला गुरु उनके माता-पिता ही होते हैं।
टीएमबीयू के पूर्व प्रभारी कुलपति प्रो. क्षमेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षा का अलख जगाने का गुरुतर दायित्व शिक्षकों का ही है। शिक्षक राष्ट्र निर्माता होते हैं। समाज की अच्छाई और बुराई के लिए शिक्षक ही जिम्मेदार होते हैं। शिक्षक समाज के आईना हैं। आज शिक्षक और गुरु में अंतर आ गया है। आज शिक्षक से 'गुरु' बनने की जरूरत है।
सेंट्रल यूनिवर्सिटी झारखण्ड के पूर्व कुलपति प्रो. नंद कुमार यादव इंदु ने कहा कि एक शिक्षक ही मूलतः शिक्षा की बात समझ सकते हैं। शिक्षक को विनयशील, लगनशील, काम करने की सोच वाली प्रवृति का होना चाहिए। आज शिक्षक को मेंटर की भूमिका में आना होगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ज्ञान का मंदिर है। ज्ञान का प्रचार-प्रसार होता रहे साथ ही सभी मिलकर अपने विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने में अपनी भूमिका का निर्वहन करें।
प्रताप यूनिवर्सिटी जयपुर राजस्थान के पूर्व कुलपति प्रो. उग्रामोहन झा ने गुरु-कुम्हार-शिष्य परम्परा को बरकरार रखने की जरूरत बतलाया। उन्होंने कहा कि शिक्षक की प्रतिष्ठा और गरिमा सर्वकालीन चलती आ रही है। उनके कई छात्र आज विश्वविद्यालय सेवा में पदस्थापित हैं। यह उनके लिए हर्ष और गौरव की बात है। रिटायर्ड शिक्षक की ओर से प्रो. मोहन मिश्र, प्रो. सचिदानंद चौधरी, प्रो. प्रियवत यादव आदि ने अपने विचार रखे। इसके पूर्व आगत अतिथियों का स्वागत डीएसडब्ल्यू प्रो. राम प्रवेश सिंह ने किया। डीएसडब्लू ने स्वागत भाषण भी दिया। जबकि टीएमबीयू के कुलसचिव डॉ निरंजन प्रसाद यादव ने कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापित किया।
पीआरओ ने कुलपति को भेंट किया डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की प्रतिमा
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के जनसंपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) डॉ दीपक कुमार दिनकर ने कार्यक्रम के दौरान डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की प्रतिमा कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता को सप्रेम भेंट किया।
पीआरओ ने बताया कि कुलपति को भेंट किये गए प्रतिमा का निर्माण भागलपुर के हुसैनाबाद निवासी स्थानीय मूर्ति कलाकर संजीव कुमार शर्मा के द्वारा किया गया था। प्रतिमा को प्लास्टर ऑफ पेरिस और सीमेंट से आकार दिया गया था। कुलपति ने प्रतिमा की कलाकारी को देखकर प्रसन्नता जाहिर की।
टीएमबीयू में आयोजित शिक्षक दिवस समारोह में पीजी म्यूजिक विभाग की छात्राओं ने कुलगीत और स्वागत गान की प्रस्तुति दी। वहीं सामूहिक राष्ट्रगान से कार्यक्रम का समापन हुआ। इसके पूर्व कुलपति, प्रतिकुलपति, डीएसडब्लू, रजिस्ट्रार सहित विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने प्रशासनिक भवन परिसर स्थित अमर शहीद तिलकामांझी की प्रतिमा पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित किया। साथ ही कार्यक्रम स्थल सीनेट हॉल में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया गया। कार्यक्रम स्थल को आकर्षक तरीके से सजाया गया था।
इस अवसर पर टीएमबीयू के प्रॉक्टर प्रो. रतन कुमार मंडल, सीसीडीसी डॉ केएम सिंह, कुलसचिव डॉ निरंजन प्रसाद यादव, डीन एकेडमिक्स डॉ अशोक कुमार ठाकुर, मानविकी के डीन प्रो. केषकर ठाकुर, कॉलेज इंसपेक्टर प्रो. रंजना, पीआरओ डॉ दीपक कुमार दिनकर सहित विश्वविद्यालय के कई अधिकारी, पीजी विभागों के अध्यक्ष, शिक्षक और कर्मी उपस्थित थे। कार्यक्रम में मंच संचालन एसएम कॉलेज के हिन्दी विभाग की शिक्षिका डॉ आशा तिवारी ओझा ने किया।