नव-बिहार न्यूज नेटवर्क (NNN): मोदी मंत्रिपरिषद में पुनर्गठन से पहले बिहार के मंत्रियों की संख्या पांच थी जो अब बढ़कर छह हो गई है। दो मंत्री शामिल किए गए हैं तो एक
को बाहर का रास्ता दिखाया गया है। संदेश साफ है कि बिहार में बेहतर प्रदर्शन की बदौलत ही अपने दम पर लोकसभा चुनाव में पहली बार बहुमत हासिल करने वाली भाजपा इस राज्य को लेकर बेहद सतर्क है।
राज्य से जदयू को विस्तार में जगह न मिलने के बावजूद उसे इस विस्तार में लाभ हासिल हुआ है। राज्य से महज एक मंत्री राजीव प्रताप रूडी को हटाया गया, जबकि दो नए मंत्री आर के सिंह और अश्विनी चौबे को शामिल किया गया है।
राज्य मंत्री गिरिराज सिंह का कद बढ़ा कर उन्हें लघु एवं मध्यम उद्योग जैसे अहम मंत्रालय की बतौर स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री जिम्मेदारी दी गई है। सिंह को बेहद अहम ऊर्जा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। निकट भविष्य में अगर जदयू सरकार में शामिल हुआ तो कैबिनेट में बिहार की भागीदारी और बढ़ेगी।
इस पुनर्गठन में नए भारत के निर्माण और मिशन 2019 के बीच संतुलन कायम करने की कोशिश के तहत आर के सिंह और अश्विनी कुमार चौबे को जगह दी गई है। अपनी प्रशासनिक क्षमता और काम से मतलब रखने वाले अधिकारी की छवि के साथ ही वह राजीव प्रताप रूडी की विदाई से खाली हुए ठाकुर चेहरे की कमी को पूरा कर रहे हैं।
इससे ठाकुर समुदाय को साफ संदेश देने की कोशिश की गई है कि उनकी उपेक्षा नहीं हो रही है। उधर, चौबे के रूप में भाजपा ने राज्य से पहली बार किसी ब्राह्मण को मंत्रिपरिषद में जगह दी है। इसके गहरे राजनीतिक निहितार्थ हैं।