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नीतीश परेशान, भागलपुर में जांच को जहाज से भेजे गए अधिकारी

पटना / भागलपुर : बालू माफिया के कारनामों की चर्चा तो चल ही रही थी. अब एक और घोटाला सामने आ गया है. जिसकी स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चर्चा कर दी है. यह घोटाला कोई 250 करोड़ रूपये का बताया जा रहा है. घोटाले के तार जमीन से जुड़े हैं. नीतीश कुमार ने कहा है कि वे किसी को छोड़ने नहीं जा रहे हैं. उधर भागलपुर में भी एक बड़ा घोटाला सामने आ रहा है. इस घोटाले में कई बड़े अधिकारी फंस सकते हैं. घोटाले की गंभीरता को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किस गंभीरता से लिया है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि मामले को जांचने को आज बुधवार को भागलपुर में सरकार के जहाज से अधिकारियों को भेजा गया. जिसका नेतृत्व आर्थिक अपराध यूनिट के मुखिया जे एस गंगवार कर रहे थे.

250 करोड़ के घोटाले की जानकारी नीतीश कुमार ने आज भारत छोड़ो आंदोलन के 75वें वर्षगाँठ पर आयोजित समारोह में दी. उन्होंने कहा – कहां-कहां क्या हो रहा है, कितना बताएं? सिर्फ एक जिले में 250 करोड़N के जमीन घोटाले की बात सामने आ रही है. इस देश को अंग्रेजों के खिलाफ ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की तरह आज ‘लालच छोड़ो आंदोलन’ चलाने की जरुरत है. लालच की बात कर नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद पर भी तंज कस ही दिया.j

भागलपुर में जहाज से उतरे अधिकारी

डीएम के फर्जी हस्ताक्षर से निकाले गए 10.26 करोड़ का मामला बढ़ता जा रहा है. इस मामले में मंगलवार को ही भागलपुर के तिलकामांझी थाने में इंडियन बैंक की पटलबाबू रोड शाखा और सबौर स्थित सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के खिलाग जिलाधिकारी आदेश तितरमारे ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी. इसके बाद SIT का गठन कर दिया गया था. कहा जा रहा है कि सरकारी पैसे की फर्जी निकासी हुई है. यह खेल लंबे अरसे से चला आ रहा था.

भागलपुर के मामले की जानकारी जब पटना में हेडक्वार्टर को मिली, तो इसके तुरंत बाद विशेष टीम भेजने का निर्णय लिया गया. आज दोपहर में सरकार के विमान से आर्थिक अपराध यूनिट के मुखिया जे एस गंगवार के नेतृत्व में बड़ी पुलिस टीम को भागलपुर में लैंड कराया गया. इस टीम ने तेज जांच शुरू की है.

फंस सकते हैं कई बड़े अधिकारी

भागलपुर में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि घोटाले की जांच में कई बड़े अधिकारी फंसेंगे, जो पहले यहां तैनात रहे हैं. प्रारंभिक सबूत इस बाते के मिल रहे हैं कि इन अधिकारियों की कृपा विशेष रूप से सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड पर थी. सरकारी पैसे को ख़ास कारणों से यहां जमा कराया जाता था. कोआपरेटिव बैंक के रूप में इसकी शुरुआत बहुत पहले मनोरमा देवी ने की थी, बाद में निधन के बाद अब इसे ए. कुमार संभाल रहे हैं. यहां पैसा जमा कराने का मुख्य उद्देश्य मनमर्जी और ब्याज के पैसों का निजी लाभ प्राप्त करना बताया जा रहा है.