नई दिल्ली। अगले साल रेल बजट नहीं आएगा। रेलवे के आय-व्यय का ब्योरा आम बजट 2017-18 का ही हिस्सा होगा। साथ ही फरवरी के अंतिम दिन बजट पेश करने की दशकों पुरानी परिपाटी भी बदल जाएगी।
देश का आम बजट इस तारीख से करीब महीने भर पहले संभवतः एक फरवरी को पेश किया जाएगा।
बजट में कई दशक से जारी खर्च का योजनागत व गैर-योजनागत भेद भी अगले वित्त वर्ष से खत्म हो जाएगा। हालांकि रेल बजट के आम बजट में विलय का रेलवे की कार्यकारी और वित्तीय स्वायत्तता पर असर नहीं पड़ेगा। साथ ही रेलवे को हर साल सरकार को लाभांश भी नहीं देना पड़ेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने बुधवार को इस आशय के वित्त मंत्रालय के प्रस्तावों पर मुहर लगाई। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 1924 में पेश पहले रेल बजट की राशि आम बजट से ज्यादा थी। बीते वर्षों में यह आम बजट के मुकाबले काफी कम हो गई है। रक्षा समेत कुछ मंत्रालयों का बजट रेल बजट से भी ज्यादा है।
नहीं देना पड़ेगा लाभांश
सरकार ने रेल बजट के विलय का फैसला नीति आयोग के सदस्य विवेक देबरॉय की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश पर किया है।
विलय का दूसरा पहलू यह भी है कि अब रेलवे को वित्त वर्ष 2017-18 से सरकार को करीब 10,000 करोड़ का लाभांश नहीं देना पड़ेगा। वहीं, बजटीय सहायता के रूप में रेलवे को सरकार से वित्तीय मदद मिलती रहेगी। रेलवे का 2.27 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत भार भी खत्म हो जाएगा।
बदलेगी दशकों से जारी परिपाटी
दूसरा महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि सरकार ने आम बजट फरवरी के अंतिम दिन पेश करने की दशकों पुरानी परिपाटी को बदलने को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। यानी आम बजट अब 28 फरवरी से पहले पेश किया जाएगा। जेटली का कहना है कि अगले साल का बजट किस तारीख को आएगा, इसका फैसला कुछ राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों की तारीख को ध्यान में रखकर लिया जाएगा।
सरकार बजट प्रक्रिया को नया वित्त वर्ष शुरू से पहले 31 मार्च तक ही पूरा करना चाहती है। इसलिए बजट को जल्दी पेश करने का सैद्धांतिक फैसला लिया गया है। वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव शक्तिकांत ने कहा कि बजट डिवीजन अगले एक दो दिन में बजट सर्कुलर जारी कर देगा। इसमें आगामी बजट में प्रस्तावित बदलावों का पूरा खाका होगा।
नहीं बदलेगी दलितों से जुड़ी व्यवस्था
आम बजट में योजनागत और गैर योजनागत आवंटन के अंतर भी समाप्त होगा। हालांकि दलित और आदिवासियों के लिए अलग से आवंटन दर्शाने वाले अनुसूचित जाति सब प्लान और अनुसूचित जनजाति सब प्लान की मौजूदा व्यवस्था जारी रहेगी। पूर्वोत्तर राज्यों को आवंटित राशि का भी अलग से उल्लेख होगा।
पहला रेल बजट
1920-21 में दस सदस्यीय एकवर्थ समिति के सुझाव पर रेल बजट को आम बजट से अलग किया गया। पहली बार अलग रेल बजट 1924 में पेश किया गया था।
पहली बार सीधा प्रसारण
आम बजट से अलग होने के 70 साल बाद रेल बजट का टीवी पर पहला सीधा प्रसारण 24 मार्च, 1994 को हुआ था।
आजाद भारत के पहले रेल मंत्री
15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता मिलने के बाद जॉन मथाई आजाद भारत के पहले रेल मंत्री बनाए गए।
महिला रेल मंत्री
बंगाल की मौजूदा मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ममता बनर्जी साल 2000 में पहली महिला रेल मंत्री बनी थीं।
सबसे अधिक बजट पेश किया
सबसे अधिक बार रेल बजट पेश करने का रिकॉर्ड जगजीवन राम के नाम है। उन्होंने 1956 से 1962 तक सात बार इसे पेश किया था।