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बाबू अब हम सब केना रहबय अपनों जमीनो पर, हमरो मारी देते गोली


राजेश कानोडिया, नवगछिया। बाबू अब हम सब केना रहबय अपनों जमीनो पर, अब तो हमरो गोली मारी देते। वें सब तो आइये हमरो गोली मारी देतीये। हम तो वहाँ से भागी गेलिये, तभिये हमरो जान आय बची गैले। आय तो हमरो बाप आरू भाय के मारिये देल केय। हमरो पत्नी आरू भतीजा के भी फरसा से घायल करने छेय। जेकरो हालत हमरा पता नय छेय। वें सब हमरो नहिये छोड़ते। 
उपरोक्त बातें काफी डरे और सहमे अंदाज में धीरे धीरे कहता है कदवा के जंगली टोला का गौरी मंडल । जिसके आँखों में पिता और भाई की मौत का वह नजारा बार बार नाच रहा था। जहां से वह भी किसी तरह से भाग कर अपनी जान बचाने में सफल रहा था। 
गौरी मंडल के अनुसार शुक्रवार की सुबह लगभग सात बजे ट्रेक्टर से त्रिवेणी खेत जोत रहा था। उसी समय 18 -20 लोग लाठी, फरसा और बंदूक सब लेकर पहुँच गए। जमीन विवाद को लेकर खेत में बने घर को खाली करने का आदेश करते हुए एकाएक हमला करना शुरू कर दिया। जहां से हम जान बचा कर भागे। इस घटना में अपने ही खेत पर पिता विंदेश्वरी मंडल और भाई उपेंद्र मंडल की लाश गिर चुकी थी। इसके अलावा मेरी पत्नी सुनीता देवी तथा भतीजा लब्बो कुमार की भी जान मारने के लिये फरसा से सिर पर मारा है। जिसे इलाज के लिये चौसा ले गया है।