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देखें : किस तरह सहौड़ा गाँव को फिर से लीलने को बेताब है कोसी, कई घर कोसी में समाये, ग्रामीणों का पलायन जारी


राजेश कानोडिया, नवगछिया। 
भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडल का एक गाँव है सहौड़ा। जो इस समय तीन किलोमीटर लम्बी एक पुरानी रेल लाइन पर बसा हुआ है। जहां लगभग चार हजार मतदाता हैं। आबादी अनुमानतः छह हजार होगी। जिसे 27 साल बाद फिर से तबाह कर लीलने को बेताब हो चुकी है कोसी। 
इस गाँव को अगस्त 1987 में मात्र 24 घंटे में कोसी ने अपने आगोश में समा लिया था। जब ग्रामीण अपने समान तो क्या किसी तरह से जान बचा कर भागे थे। इसी समय से पुरानी रेलवे लाइन उनकी शरण स्थली बनी हुई है। लेकिन कोसी का रौद्र रूप को फिर से देख इस गाँव के बूढ़े बुजुर्ग तक काफी सहम गये हैं। जो अपने हाथों बनाये अपने आशियाने को आज तेज रफ्तार से उजाड़ने को मजबूर हो चुके हैं। 
दो दिनों से सहौडा गाँव के लोगों के खाने का ठिकाना तो दूर, जिंदगी जीने के लिये रहने की जगह को तलाशने को मजबूर हैं। यह हाल दो चार घरों का नहीं है, इस पूरी बस्ती का है। जिसके बच्चे पढ़ना भूल कर घर का सामान बचाने में जूटे हैं।
यहाँ स्थिति यह है कि महिलाएं खाना कब और कहाँ बनायेंगी, बच्चों को कब और क्या खिलायेगी, उन्हें भी पता नहीं। गाँव के कई लोग दो दिनों से मांग कर सत्तू पीकर घर का सामान बचाने में लगे हैं। जो अपने सामानों को अब खुले आसमान के नीचे चालू रेल लाइन किनारे ले जाकर रख रहे हैं। 
स्थिति तो यह है कि इन्हें सामान लेजाने को वाहन भी नहीं मिल रहे। गाँव के ही कुछेक वाहन ट्रेक्टर और टेमपु से सामान को मनमाना भाड़ा देकर लेजाया जा रहा है। खुले आसमान के नीचे एक भी सामान सुरक्षित नहीं है। वहाँ भी वर्षा का भाय अलग सता रहा है। प्रशासन द्वारा इनकी सुरक्षा का कोई प्रबंध नहीं किया गया है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से पोलिथीन की गुहार लगाई है। इसके साथ ही पुनर्वास की व्यवस्था करने की भी मांग की है। 
इधर जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता अवधेश कुमार झा और मुख्य अभियंता लक्षमन राम तथा बाढ़ विशेषज्ञ उमा शंकर प्रसाद कटाव स्थल पर जमे हैं। मौके पर कार्यपालक अभियंता श्री झा ने बताया कि यहा कटाव काफी तेज है, फिर भी निरोधी कार्य काफी तेज गति से चालू करा दिया गया है। इसके लिये पाँच एजेंसी को सक्रिय कर दिया गया है। स्लोपिंग बेड बार बनाया जा रहा है। इसके साथ ही जियो बैग, मेगा जियो बैग, पर्क्युपाइन, हाथीपांव, ट्री ब्रांच और बेम्बू रोल का उपयोग किया जा रहा है। नवगछिया से बोल्डर भी मंगाया जा रहा है। चार दिनों से कटाव निरोधी कार्य जारी है। 
वहीं मुख्य अभियंता ने बताया कि यहाँ कटाव स्थल पर तीन कार्यपालक अभियंता, तीन सहायक अभियंता और तीन कनीय अभियंता की प्रतिनियुक्ति कर दी गयी है। जो 24 घंटे कार्य पर निगरानी रखेंगे। जरूरत पड़ने पर और भी अधिकारी की प्रतिनियुक्ति की जायेगी। 
वहीं ग्रामीणों को विभाग द्वारा कराये जा रहे कार्य पर जरा भी भरोसा नहीं है। उनके आँखों की नींद उड़ चुकी है। कटाव निरोधी कार्य में जियो बैग में बालू की जगह मिट्टी भर कर खाना पूरी को देख ग्रामीणों में आक्रोश भी पनप रहा है। जिसके किसी समय फूटने की संभावना है।