बिहार के अब नए मुख्यमंत्री के रूप में जीतन राम मांझी आज शाम पांच बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे और नीतीश कुमार के बाद बिहार की बागडोर संभालेंगे। मंगलवार की शाम 5 बजे शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया जाएगा।
जद(यू) विधायक दल की बैठक के बाद सोमवार शाम नीतीश कुमार, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव व प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ मांझी राजभवन पहुंचे और राज्यपाल डी़ वाई़ पाटील से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया।
इससे पहले, जद (यू) विधायक दल ने रविवार को नीतीश को ही फिर नेता चुना, लेकिन नीतीश नहीं माने, सोमवार को दोबारा हुई बैठक में नीतीश को ही अगले मुख्यमंत्री का नाम तय करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। नीतीश ने कुछ घंटे सोच-विचार के बाद जीतन राम मांझी का नाम प्रस्तावित किया।
68 वर्षीय मांझी बिहार में वर्ष 2008 से ही मंत्री रहे हैं। वह गया जिले के महकारा गांव के निवासी हैं और जहानाबाद जिले के मखदूमपुर क्षेत्र के विधायक हैं। उन्होंने बचपन में बाल मजदूरी की, फिर एक दफ्तर में क्लर्की करने के बाद राजनीति में आए और मंत्री बने। वह गया से लोकसभा चुनाव भी लड़े थे, मगर तीसरे स्थान पर रहे।
गौर हो कि लोकसभा चुनाव में पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) का भी वह हश्र हुआ है जो बिहार में जद (यू) का हुआ है। 80 सीटों वाले उप्र में सपा को मात्र पांच सीटें मिली हैं। शर्मनाक हार के बावजूद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अभी तक इस्तीफे की पेशकश नहीं की है, और न ही ऐसी कोई चर्चा है लेकिन बिहार में नीतीश ने नैतिक दायित्व स्वीकार कर विरोधियों की बोलती बंद कर दी है।
जद(यू) विधायक दल की बैठक के बाद सोमवार शाम नीतीश कुमार, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव व प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ मांझी राजभवन पहुंचे और राज्यपाल डी़ वाई़ पाटील से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया।
इससे पहले, जद (यू) विधायक दल ने रविवार को नीतीश को ही फिर नेता चुना, लेकिन नीतीश नहीं माने, सोमवार को दोबारा हुई बैठक में नीतीश को ही अगले मुख्यमंत्री का नाम तय करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। नीतीश ने कुछ घंटे सोच-विचार के बाद जीतन राम मांझी का नाम प्रस्तावित किया।
68 वर्षीय मांझी बिहार में वर्ष 2008 से ही मंत्री रहे हैं। वह गया जिले के महकारा गांव के निवासी हैं और जहानाबाद जिले के मखदूमपुर क्षेत्र के विधायक हैं। उन्होंने बचपन में बाल मजदूरी की, फिर एक दफ्तर में क्लर्की करने के बाद राजनीति में आए और मंत्री बने। वह गया से लोकसभा चुनाव भी लड़े थे, मगर तीसरे स्थान पर रहे।
गौर हो कि लोकसभा चुनाव में पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) का भी वह हश्र हुआ है जो बिहार में जद (यू) का हुआ है। 80 सीटों वाले उप्र में सपा को मात्र पांच सीटें मिली हैं। शर्मनाक हार के बावजूद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अभी तक इस्तीफे की पेशकश नहीं की है, और न ही ऐसी कोई चर्चा है लेकिन बिहार में नीतीश ने नैतिक दायित्व स्वीकार कर विरोधियों की बोलती बंद कर दी है।