एक मार्च की शाम सात बजे से पांच मिनट तक राज्य के हर परिवार के लोगों के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अपने आवास से बाहर निकल कर थाली पीटेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा, इसके माध्यम से दिल्ली में बैठे लोगों की कानों तक आवाज पहुंचायेंगे कि बिहार की उपेक्षा कर खुद मुसीबत मोल ले रहे हो. (उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि वे 28 फरवरी की शाम लोग मशाल जुलूस और एक मार्च की सुबह प्रभातफेरी निकालें.
वहीं, एक मार्च की शाम सात बजे से पांच मिनट तक घर से निकल कर थाली पीटें. दो मार्च को सभी लोग अपने जिले, प्रखंड व क्षेत्र में जुलूस निकालें व बिहार बंद को सफल बनाएं.
मुख्यमंत्री ने कहा, यह आंदोलन किसी एक पार्टी का नहीं, बल्कि बिहार का है. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने को लेकर आंदोलन पुराना है. चार नवंबर, 2012 को पटना में जदयू की अधिकार रैली हुई थी. इसके बाद 17 मार्च, 2013 को दिल्ली में अधिकार रैली. राज्य भर में अभियान चला कर एक करोड़ 18 लाख लोगों के हस्ताक्षर लिये गये और ज्ञापन भी केंद्र को सौंपा गया. कमेटियां बनीं. बिहार के हक में रिपोर्ट आयी, लेकिन उसे लागू नहीं किया गया.
किसी को रोकेंगे नहीं: मुख्यमंत्री ने कहा, बंद कराने के लिए हम किसी पर दबाव नहीं डालेंगे और न ही बाधा डालेंगे. यह महात्मा गांधी के सविनय अविज्ञा आंदोलन से प्रेरित एक दिन का सत्याग्रह होगा. बंद के दौरान स्वास्थ्य, पानी व परीक्षाओं को बाधित नहीं किया जायेगा. उन्होंने कहा कि बंद को सीपीआइ, सीपीएम और सपा ने जदयू का समर्थन किया है. अन्य राजनीतिक पार्टियां भी दलगत भावना से ऊपर उठ कर इस आंदोलन में भाग लें. यह बिहार की अस्मिता का सवाल है.मुख्यमंत्री ने सभी नागरिक संगठनों, श्रमिक संगठनों के साथ-साथ रिक्शाचालकों, टेंपोचालकों, दुकान चलानेवालों और मजदूरों से दो मार्च को काम न करने और एक दिन की आम हड़ताल करने की भी अपील की.( मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र ने सीमांध्र को विशेष राज्य का दर्जा देकर बिहार के जले पर नमक छिड़कने का काम किया है. सोनिया गांधी ने कहा और केंद्र ने बिना किसी आकलन के ही सीमांध्र को विशेष राज्य का दर्जा दे दिया. सीमांध्र को विशेष राज्य का दर्जा मिले, इस पर एतराज नहीं है, लेकिन जो प्रक्रिया अपनायी गयी, वह सही नहीं है, यह भेदभावपूर्ण रवैया है.