छत्तीसगढ़ में संगीनों के साए के बीच बस्तर संभाग के 7 जिलों की 12 सीटों और राजनंदगांव की एक सीट पर प्रथम चरण का मतदान खत्म हो गया। सोमवार सुबह शुरू हुए मतदान के दौरान दंतेवाड़ में पोलिंग बूथ के बाहर सुरक्षा बलों ने दो आईईडी बरामद किए, जिन्हें विस्फोट कर आतंक फैलाने के लिए लगाया गया था। वहीं कांकेर जिले में भी सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ होने की खबर है। वहीं, अंतागढ़ के दुर्गापुर और सीतापुर में पोलिंग पार्टी के मतदान केंद्र पर न पहुंच पाने के कारण मतदान रद्द कर दिया गया। छत्तीसगढ़ में चुनाव के पहले चरण में भारी मतदान हुए हैं। करीब दो बजे तक यहां तकरीबन 50 फीसद मतदान हो चुका था। बस्तर जिले में कुछ जगहों पर कांग्रेस और भाजपा समर्थकों के बीच झड़प भी हुई।
नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग व राजनांदगांव जिले की 18 सीटों पर 143 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं। इनमें राजनांदगांव से मुख्यमंत्री रमन सिंह सहित राज्य सरकार के तीन मंत्री भी शामिल हैं। पहले चरण में शांतिपूर्ण मतदान के लिए तकरीबन 70 हजार जवान तैनात किए गए थे। पहले चरण में जिन 18 सीटों पर मतदान हो रहा है, उनमें से 15 बीजेपी के पास हैं और बाकी तीन पर कांग्रेस का कब्जा है। खुद मुख्यमंत्री रमन सिंह राजनांदगांव से फिर मैदान में हैं। उनके सामने इसी साल मई में नक्सली हमले में मारे गए पूर्व कांग्रेसी विधायक उदय मुदलियार की पत्नी अलका मुदलियार मैदान में हैं। 2008 में यहां पर 50 सीटों पर भाजपा 38 सीटों पर कांग्रेस और दो सीटों पर बसपा का कब्जा था।
मतदान से पहले रविवार दोपहर नक्सली बहुल राजनांदगांव में बारूदी सुरंग के विस्फोट में दो लोग घायल हो गए थे। छत्तीसगढ़ में पहले चरण के मतदान में 12 विधानसभा सीटें जगदलपुर में आती हैं, तो बाकी की छह सीटें नक्सल प्रभावित राजनांदगांव जिले में हैं। सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, जगदलपुर, नारायणपुर, कांकेर, कोंडागांव और राजनांदगांव जिलों में 22 लाख से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।
बस्तर और राजनांदगांव से सटी मध्य प्रदेश, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमाएं पहले ही सील कर दी गई थीं। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआइएसएफ, आइटीबीपी और 10 राज्यों की आर्म्ड फोर्सेज के आला अधिकारियों का एक ज्वाइंट ऑपरेशन गु्रप बनाया गया था। चुनाव ड्यूटी में लगाई गई 564 कंपनियों को जीपीएस से लैस कर दिया गया था, जिससे उन्हें जंगलों में किसी भी किस्म की परेशानी न हो।